भोपाल। नेताओं के बंगले से नियुक्ति पत्र चुराकर आरोपी उसकी कापी से बेरोजगारों के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र बनाते थे। ऐसा करके आरोपियों ने राजभवन तक में कंप्यूटर ऑपरेटर का पद 40 हजार रुपए में दमोह के एक बेरोजगार को दे दिया था।
यह खुलासा फर्जी नियुक्त पत्र के झांसे में फंसे दमोह के 6 और पीड़ितों के सामने आने के बाद हुआ है। इस तरह फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर कागजों पर सरकारी नौकरी पाने वालों की संख्या 31 पहुंच चुकी है। इधर, मामले के पांच आरोपी पूछताछ के बाद अभी जेल में हैं। हालांकि नेताओं के बंगलों का खुलासा नहीं हो पाया है।
एएसपी शैलेंद्र सिंह चौहान के मुताबिक दमोह के देवेंद्र सिंह, शोभाराम पटेल, राजनारायण कुर्मी, राजा साहू, रविशंकर पटेल और भारत कुमार ने सोमवार को क्राइम ब्रांच को फर्जी नियुक्ति पत्र दिखाए। रविशंकर पटेल ने बताया कि शैलेंद्र ने उससे मई में 40 हजार रुपए लेकर राजभवन में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद का नियुक्ति पत्र दिया था। कुछ दिनों तक तो उससे बातचीत होती रही, लेकिन बाद में उसने मोबाइल फोन बंद कर लिया था। उसने बस इतना पूछा था कि राजभवन में किससे संपर्क करना है और कैसे नियुक्ति होगी लेकिन गत दिनों समाचार पत्रों में शैलेंद्र का फोटो प्रकाशित होने पर उसे धोखाधड़ी का पता चला। उसके अलावा राजा साहू को मप्र लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग (सतपुड़ा भवन), देवेंद्र सिंह को वन मंडल कार्यालय (दमोह), भारत को मप्र सामान्य प्रशासन विभाग (भोपाल), शोभाराम और राजनारायण को संचालनालय स्वास्थ्य सेवा सतपुड़ा भवन में नियुक्ति का नियुक्ति पत्र दिया था। आरोपियों ने उनसे 35 से 40 हजार रुपए लिए थे।
यह है पूरा मामला
क्राइम ब्रांच ने कालापीपल शाजापुर निवासी भोजराज परमार की शिकायत पर 30 नवंबर को शैलेंद्र यादव को अशोका गार्डन से गिरफ्तार किया था। भोजराज का कहना था कि दमोह में रहने वाली रीना परमार ने उसे नौकरी दिलाने के नाम पर 40 हजार रुपए लिए थे। आरोपियों ने जो नियुक्ति पत्र उन्हें दिया था वह फर्जी था। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने शैलेंद्र की निशानदेही पर रीना समेत पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। रीना जेल में है।