केके मिश्रा/भोपाल। रविवार को जेल से जमानत पर रिहा हुए व्यापम महाघोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय द्वारा न्यायालयीन फैसले के पहले ही निर्दोष बताया जाना गंभीर बात है. मैंने सरकार से आग्रह किया है कि वह भारतीय संविधान में न्यायपालिका के तीन अंग-जिला एवं सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के बाद 4थी अदालत के रूप में बिना किसी सुनवाई एवं गंभीर मामलों के आरोपियों को हमेशा निर्दोष साबित कर देने वाले मुख्य न्यायाधीश कैलाश विजयवर्गीय की अदालत को संवैधानिक मान्यता प्रदान करें।
यदि विजयवर्गीय की निगाह में लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके मित्र, सहयोगी और निर्दोष हैं तो वे उन्हें भाजपा में वापस लिये जाने की घोषणा क्यों नहीं कर रहे हैं? कैलाश विजयवर्गीय की ऐसी टिप्पणियों को आमजन इसलिए गंभीरता से नहीं लेते हैं, क्योंकि जिनके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी जहां हत्या के आरोपी रहे हैं, वहीं उनके अधीनस्थ विजयवर्गीय के विरूद्ध भी इंदौर के बहुचर्चित 33 करोड़ रूपयों के पेंशन घोटाले और 100 करोड़ रूपयों के सुगनीदेवी काॅलेज भूमि घोटाले में सीधा संबंध है। इस लिहाज से अपराधियों की पैरवी करना उनका राष्ट्रीय धर्म बन चुका है और यही कारण है कि उन्होंने न्यायालय का बिना कोई फैसला आये यौनाचार के आरोपी राघवजी भाई, वित्त मंत्री अरूण जेटली, मंत्री विजय शाह, व्यापम महाघोटाले को लेकर जेल में बंद और उनके व्यावसायिक भागीदार सुधीर शर्मा को जहां उन्होंने निर्दोष बताया है, वहीं राष्ट्रद्रोह से जुड़े कई आरोपियों को देशभक्त, ख्यात अभिनेता शाहरूख खान को देशद्रोही और अपनी ही पार्टी के सांसद शत्रुघन सिन्हा को ‘‘कुत्ता’’ कहने में भी कोई कोताही नहीं बरती है।
उनकी इन स्वीकारोक्तियों के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अपराधियों को सुलभ और बिना किसी आर्थिक भार के अन्य न्यायालय या लोक अदालत की कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए त्वरित न्याय की मंशाओं के अनुरूप भाजपा की ओर से एक चैथी अदालत देश में निर्मित की गई है, जिसके मुख्य न्यायाधीश कैलाश विजयवर्गीय हैं। लिहाजा, इस अदालत को सरकार संवैधानिक मान्यता प्रदान करे।
- लेखक प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता हैं