भोपाल। मध्य प्रदेश में बेरोजगारी का आलम देखिये एमबीए और इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले चपरासी बनने जा रहे हैं। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) ने फोर्थ क्लास के 963 पदों के लिए रिटन एग्जाम लिया था। मिनिमम क्वालिफिकेशन 8वीं पास होना तय की गई थी। लेकिन मैरिट के हिसाब से 8वीं पास केवल 22 कैंडिडेट्स को ही सफलता मिली है।
क्या है मामला?
- पीईबी ने फोर्थ क्लास (4,440-7,440 रुपए ग्रेड पे) के पदों के लिए 12 जुलाई 2015 को सभी डिस्ट्रिक्ट्स में रिटन एग्जाम लिया था।
- एग्जाम में 18 से 40 साल के हर वर्ग के 3 लाख 70 हजार 906 कैंडिडेट्स बैठे। यानी एक पद के लिए 385 कैंडिडेट्स।
- पीईबी ने रिजल्ट डिक्लेयर करने के साथ ही मैरिट लिस्ट भी जारी की है। जिसमें हायर एजुकेशन प्राप्त 6 कैंडिडेट्स हैं।
- एग्जाम देने वालों में 15 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट और इंजीनियरिंग पासआउट थे।
क्या बोलीं पीईबी की अध्यक्ष?
- पीईबी की अध्यक्ष अरुणा शर्मा के मुताबिक राज्य सरकार को सुझाव भेजा गया है।
- जिसमें कहा गया है कि फोर्थ क्लास की पोस्ट को भरने के लिए नए पैरामीटर तैयार किए जाएं और हर डिपार्टमेंट में अलग-अलग एग्जाम लिया जाए।
- शर्मा के मुताबिक यदि व्यापमं के माध्यम से इन पदों के भरा जाएगा तो हायर एजुकेशन प्राप्त कैंडिडेट्स कॉम्पिटीशन में बैठकर मिडल स्कूल तक पढ़े लोगों का हक मारेंगे।
मैरिट में आए हायर एजुकेटेड कैंडिडेट्स
- दिनेश साहू, छिंदवाड़ा (पोस्ट ग्रेजुएट)- मैरिट में 5वां स्थान
- दिनेश का कहना है कि चपरासी बनने में कोई शर्म नहीं। पटवारी की परीक्षा दी, लेकिन मैरिट बेस्ड पर सिलेक्शन नहीं हो पाया। संविदा शिक्षक का एग्जाम पास किया, लेकिन बीएड नहीं होने के कारण नौकरी हाथ से गई। इसके बाद फोर्थ क्लास के लिए परीक्षा दी। चपरासी की नौकरी में शर्म नहीं है।
- एमबीए पासआउट कैंडिडेट- मैरिट में 10वां स्थान, पीएससी की भी तैयारी की
- भोपाल के रहने वाले एक एमबीए कैंडिडेट ने मैरिट में 10वां स्थान पाया। उन्हें चपरासी की नौकरी से गुरेज नहीं है, लेकिन वे इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते। एमएससी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो फोर्थ क्लास की जॉब करने तैयार हो गया।