आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिले के बहुचर्चित फर्जी टीपी मामले की जांच कर रही पुलिस की एसआईटी टीम द्वारा की जा रही जांच की जद में बैहर तहसील के तत्कालीन एडीएम वीएनएस परस्ते भी आ गये है। उनके कार्यकाल के दौरान भारी मात्रा में निजि भूमि से पेडों की कटाई किये जाने के लिये अनुमति प्रदान की गई थी इस बात के सबूत मिले है।
यह उल्लेखनीय है कि बैहर, परसवाडा और बिरसा क्षेत्र में भारी मात्रा में वनमाफियाओं द्वारा निजि भूमि से कटाई करवाई गई है कटाई कराने के बाद उनके द्वारा उसकी जप्ती बनवाई जाती थी सांठगांठ के चलते विभाग से अनुमति लेकर फर्जी टीपी के जरिये उसका परिवहन कर दिया जाता था।
एसटीएफ को मिले सबूतों के आधार पर वर्ष 2011 से लेकर मामला खुलासा होने तक पेडों की कटाई करने के लिये अनुमति दी गई थी, जिसमें एडीएम वी एन एस परस्ते के हस्ताक्षर है।
पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने अवगत कराया की वर्ष 2014 से अबतक 18 ऐसे मामले प्रकाश में आये है जिसमें निजि भूमि से पेडों की कटाई किये जाने के मामले में साधारण सी कार्यवाही कर उनसे बहुत ही कम जुर्माना वसूला गया है जबकि नियमानुसार विभाग को जुर्माना वसूलने के बजाये उसे जप्त करने और अवैध कटाई किये जाने की जांच कर कार्यवाही की जानी थी।
यह उल्लेखनीय है की प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत बैहर में अपर कलेक्टर की पदस्थापना की गई है यहंा पदस्थ अपर कलेक्टर को 3 तहसीले जिसमें बैहर,बिरसा और परसवाडा का प्रभार दिया है तीनों तहसीले आदिवासी बाहुल्य वाला धने वनों से आच्छादित क्षेत्र है।
इन क्षेत्रों के बैहर,बिरसा, परसवाडा के गोहारा, गोवारी, खापा, मोवाला, कुमादेही, हर्राभट, परसामउ, पान्डुतला, जेरासी, चंदना, कंदई, पोलापटपरी सहित अनेक गांवों में निजि भूमि से पेडों की अवैध कटाई की गई है जिसमें वनमाफिया, प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ कर उनकी जप्ती बनवाता था जिसमें प्रशासन द्वारा सधारण जुर्माना लगाया जाता है जिसके बाद उसके परिवहन के लिये टीपी जारी कर दी जाती थी और इसी फर्जी टीपी की आड में वनोपज का अवैध परिवहन किया जाता था। इस मामले में शीध्र ही पुलिस एडीएम वी एन एस परस्ते से पूछताछ करने वाली है।