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मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता राजेश दुबे ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता 2011 में जनशिक्षक/बीएसी नियुक्त हुए थे। 30 अक्टूबर 2015 को जनशिक्षक/बीएसी की नए सिरे से भर्ती का विज्ञापन निकाला गया, जिसमें 4 साल पूरा कर चुके जनशिक्षक/बीएसी को नवीन भर्ती के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया। चूंकि अनुभव की इस तरह उपेक्षा नहीं की जा सकती, अतः न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण ले ली गई।
सागर, टीकमगढ़, नरसिंहपुर व शहडोल के मामले- अधिवक्ता राजेश दुबे ने अवगत कराया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सागर जिले के 12, टीकमगढ़ के 2, नरसिंहपुर के 4 और शहडोल जिले के एक जनशिक्षक के हक में आदेश सुनाया। इसके तहत 4 साल की प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी न होने की दशा में हटाए न जाने की व्यवस्था दी गई है। साथ ही जनशिक्षक/बीएसी की नवीन भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने भी कहा गया है।