नैनीताल। उत्तराखंड राज्य में भले ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के मंथन में लगी हो लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले अपने कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड बीजेपी के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. पार्टी से उपेक्षित कार्यकर्ताओं ने गैरराजनैतिक संगठन बनाकर पार्टी के लिए 2017 की राह मुसिबत में डाल दी है.
प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से पहले बीजेपी के लिए उन्हीं के कार्यकर्ता मुसीबत बनने जा रहे हैं. दरअसल बीजेपी और अन्य दलों के उपेक्षित कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड स्वराज मोर्चे का गठन कर सियासत की बुनियाद डाल हलचल पैदा कर दी है.
नैनीताल में कोर कमेटी की पहली बैठक में 18 बिंदुओं पर पहाड़ के लोगों के लिए आंदोलन खड़ा करने की योजना भी मोर्चे ने तैयारियां कर ली है. उत्तराखंड स्वराज मंच नाम से बनाए गए इस दल में ना सिर्फ बीजेपी के 200 से ज्यादा अपने कार्यकर्ता है, बल्कि अन्य दलों से छिटके कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की जा रही है.
गौरतलब है की लंबे समय से जनता की नब्ज पकड़ने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी ने साइडलाइन कर दिया था, जिसमें पूर्व संगठन मंत्री के अलावा कई कार्यकर्ता भी शामिल हैं. वहीं संघ में भी पैठ रखने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस दल का रुख किया है. साथ ही निर्दलिय चुनाव लड़ने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी पार्टी ने बाहर कर दिया था, वो भी उत्तराखंड स्वराज मोर्चे के साथ जुड़ गए हैं.
राज्य में बीजेपी और कांग्रेस का विकल्प खड़ा किया जा सके, इसके लिए देहरादून और हल्द्वानी में 4 से 6 बैठकें भी गुपचुप तरीके से आयोजित की जा चुकी है. बीजेपी द्वारा सरकार को नहीं घेर पाने पर उत्तराखंड स्वराज बीजेपी के विकल्प के रूप में खड़ा होने की तैयारियों में जुटा है.
बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री आदित्य कोठारी का कहना है की वो 2012 से बीजेपी से बाहर है. साथ ही अन्य जो भी बीजेपी से बाहर कार्यकर्ता थे, उनको एक मंच पर लाया गया है. इसके अलावा आदित्य कोठारी ने साफ कर दिया है की वो बीजेपी में जरूर रहे हैं लेकिन विचारधाराओं को यहां नहीं देखा जाएगा, बल्कि वो भी राजनैतिक संगठन के रूप में काम कर रहे हैं.
वहीं बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे पूरन मेहरा ने कहा है कि संगठन गैर राजनैतिक जरूर है, अगर 2017 में जनता के मुद्दों को लेकर चुनाव में जाना पड़े तो उसके लिए भी उत्तराखंड स्वराज मोर्चा तैयार है.