भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सुझाव के बाद राज्य शिक्षा केंद्र सरकारी स्कूलों में बुक बैंक योजना शुरू करेगा। इस योजना के तहत कक्षा छठवीं से आठवीं तक के छात्रों से सत्र के आखिर में किताबें जमा करा इन कक्षाओं में पहुंचने वाले बच्चों को दी जाएगी। शुरूआती चरण में यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर, नरसिंहपुर और दतिया जिले में लागू होगी। इसका फीडबैक अच्छा आने के बाद इसे प्रदेश के अन्य जिलों में लागू किया जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से शुक्रवार को इस योजना की जानकारी एनजीटी को दी गई।
हर साल पाठ्यपुस्तकों की छपाई से पेड़ों के कटने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर श्रीकांत काटे द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को एनजीटी में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शिक्षा केंद्र ने बुक बैंक योजना लागू करने की जानकारी एनजीटी को दी। लेकिन इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी। राज्य शिक्षा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार एनजीटी के सुझाव के बाद कागजों के उपयोग को कम करने के लिए जो बुक बैंक योजना शुरू की गई है उसके लिए इंदौर, नरसिंहपुर और दतिया जिले की तीन-तीन माध्यमिक शालाओं को चुना गया है। चयनित स्कूलों में बुक बैंक योजना के क्रियान्वयन की सफलता व कठिनाईयों पर अगले साल 1 जुलाई से 30 सितंबर के बीच फीडबैक लिया जाएगा। इसकी रिपोर्ट 30 अक्टूबर तक राज्य शिक्षा केंद्र का सौंपनी होगी।
कटने से बचेंगे हजारों पेड़
याचिकाकर्ता की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील इनोश जार्ज के अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र हर साल पाठय पुस्तकों के प्रकाशन के लिए एक लाख टन कागज खरीदता है। बुक बैंक योजना लागू होने से हजारों टन पेपर बचेगा। इससे हजारों पेड़ कटने से बचेंगे, जिसका फायदा पर्यावरण को होगा।