अशोकनगर. रात को अपने हाथ से दूध पिला रही मां सुबह अपने बेटे के शव को सीने से चिपकाएं फूट-फूट कर रोती रही। मृत शिशु का शव रखे महिला बार-बार यही कहती रही कि रात को अगर डॉक्टरों ने उसके बेटे का इलाज किया होता तो उसकी जान नहीं जाती।
मामला अशोकनगर जिले का है। मुंगावली तहसील के चकेली गांव की मानकुंवर बाई पत्नी राजा आदिवासी ने बताया कि उसने अपने पुत्र छोटू (3 माह) को निमोनिया होने पर 18 दिसंबर को जिला हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। सोमवार रात अचानक बच्चे की हालत बिगड़ने लगी।
इसके बाद उसने कई बार डॉक्टरों को बुलाने के लिए कई बार हॉस्पिटल में भागदौड़ की, लेकिन कोई भी डॉक्टर बच्चे को देखने नहीं आया। इतना ही नहीं शिशु वार्ड में मौजूद स्टॉफ नर्स भी बच्चे के इलाज के लिए परेशान नहीं हुईं। पर्याप्त इलाज के अभाव में सुबह बच्चे की मौत हो गई। शिकायत है कि डॉक्टर वक्त पर नहीं पहुंचते।
एक दिन पहले ही हुई थी प्रसूता की मौत
जिला हॉस्पिटल में एक दिन पहले आशा कार्यकर्ता की प्रसव के लिए किए आॅपरेशन के बाद मौत हो गई थी। इस मामले में नियमानुसार मृत्यु के बाद मृतक महिला का पोस्टमार्टम होना जरूरी है, लेकिन हॉस्पिटल मैनेजमेंट मौत के बाद वहां से परिजनों को जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराते हुए मामले को रफा-दफा कर दिया।
इनका क्या कहना है-
आशिक नगर के सिविल सर्जन डॉ. एवी मिश्रा ने कहा - ड्यूटी पर डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत मैं पहले भी वरिष्ठ अधिकारियों को कर चुका हूं। जिस शिशु की मौत हुई है उसको शाम 8 बजे ही परिजनों को भोपाल ले जाने को बोल दिया गया था। इसके बाद भी परिजन बाहर नहीं ले गए।