नई दिल्ली: आज से ठीक तीन वर्ष पहले दिल्ली की सड़कों पर एक गैंगरेप हुआ था और इस गैंगरेप ने देश के मन में मौजूद आंदोलन की चिंगारी को आग बनाने का काम किया था। सामूहिक बलात्कार की इस वारदात को देश निर्भया रेप केस के नाम से जानता है। 16 दिसंबर 2012 के बाद से हर साल इसी दिन निर्भया को याद किया जाता है। 16 दिसंबर की तारीख को एक तरह से देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाओं की राष्ट्रीय समीक्षा का दिन बना दिया गया है।
- हम देश को नींद से जगाने वाले कुछ आंकड़े दिखाते हैं जिन्हें जानना जरूरी है--
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर एक घंटे में 4 रेप की वारदात होती हैं। यानी हर 14 मिनट में रेप की एक वारदात सामने आती है।
- 2014 में रेप के कुल 36 हज़ार 975 मामले दर्ज हुए। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक औसतन हर 2 दिन में पुलिस कस्टडी में कम से कम एक रेप की वारदात होती है और हर वर्ष पुलिस कस्टडी में करीब 197 रेप होते हैं।
- 2014 में पुलिस कस्टडी में हुई गैंग रेप की वारदात की संख्या 7 है।
- देश में औसतन हर 4 घंटे में एक गैंग रेप की वारदात होती है।
- वर्ष 2014 में गैंग रेप के कुल 2361 मामले दर्ज किए गए थे।
- हर दो घंटे में रेप की एक नाकाम कोशिश को अंजाम दिया जाता है।
- हर 13 घंटे में एक महिला अपने किसी करीबी के द्वारा ही रेप की शिकार होती है।
- वर्ष 2014 में रेप की 674 वारदात को महिला के करीबियों ने ही अंजाम दिया।
- 6 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ भी हर 17 घंटे में एक रेप की वारदात को अंजाम दिया जाता है
- महिलाओं के यौन उत्पीड़न और बलात्कार के 31 फीसदी मामले अभी अदालत में लंबित हैं
निर्भया बलात्कार केस के बाद कानूनों में बदलाव किये गये, कानूनों को पहले से ज्यादा सख्त बनाया गया इस उम्मीद में कि शायद महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक वारदात कुछ कम होंगी लेकिन आंकड़े ये बताते हैं कि ना तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कमी आई और ना ही उन्हें न्याय दिलाने की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ी--
- यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए देश में 275 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए हैं लेकिन ये कोर्ट भी महिलाओं को कम वक्त में न्याय दिलाने में कामयाब नहीं हो पा रहे।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े 332 से ज्यादा मामले इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
- देश भर की उच्च न्यायालयों में ऐसे लंबित मामलों की संख्या 31 हज़ार 386 है।
- देश की निचली अदालतों में 95 हज़ार से ज्यादा महिलाओं को न्याय का इंतज़ार है।
Criminal law Amendment Act 2013 कहता है कि रेप के मामलों की सुनवाई निश्चित समय में पूरी की जानी चाहिए लेकिन बहुत कम मामलों में ही ऐसा हो पाता है। अब हम आपको महिलाओं के यौन उत्पीड़न के कुछ चर्चित मामलों और अदालत में उनकी स्थिति के बारे में बताते हैं--
- आज हमारे पास देश के युवा छात्रों की सोच से जुड़े कुछ चिंताजनक आंकड़े हैं। Indian Market Research Bureau के एक सर्वे के मुताबिक--
- कॉलेज में पढ़ने वाले 65 फीसदी छात्र मानते हैं कि दो अलग-अलग धर्मों के लड़के-लड़कियों को सार्वजनिक जगह पर नहीं मिलना चाहिए।
- कॉलेज में पढ़ने वाले 44 फीसदी छात्र मानते हैं कि महिलाओं के पास हिंसा स्वीकरने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
- 51 फीसदी छात्रों ने इस सर्वे ने कहा कि महिलाओं के घर से बाहर निकलने की बजाय घर का कामकाज संभालना चाहिए और बच्चों की देखभाल करनी चाहिए।