भोपाल। विधानसभा सत्र के दौरान किए गए मंत्रियों के वादों का यह हाल है कि 14 साल बाद भी विभागों के जिम्मेदार अफसरों ने दोषी लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह खुलासा विधानसभा के पटल पर रखी गई आश्वासन समिति की रिपोर्ट में हुआ। मंगलवार को वर्ष 2000-01 की तीन और 2014 की एक रिपोर्ट पेश हुई। इसमें समिति ने गंभीर टिप्पणी की कि 14 साल गुजर जाने के बाद भी 9 विभागों के 27 मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रयास सिर्फ दोषियों को बचाने के ही हुए, यह गुनाह है।
समिति की इन गंभीर टिप्पणियों के बाद इस बात पर विचार शुरू हो गया है कि सदन के दौरान मंत्रियों की ओर से दिए गए आश्वासनों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो 6 माह के भीतर दोषी अधिकारियों को विभागीय जांच के दायरे में लाया जाए।
इन विभागों के ज्यादा मामले
नगरीय विकास 27
पीडब्ल्यूडी 10
पंचायत एवं ग्रामीण विकास 06
सहकारिता09
- समिति की गंभीर टिप्पणियां
- नगर पालिका परिषद बैतूल में एक मामले की जांच के लिए 2001 में मंत्री ने घोषणा की। इसकी जांच 2008 में प्रारंभ की गई। यह नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग की हास्यास्पद व सोची-समझी रणनीति है। इस विभाग के सभी मामले गंभीर हैं। वित्तीय गड़बडिय़ों के मामले में कॉलोनाइजर से वसूली तक नहीं की जा सकी। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक मामले में जांच और राशि की वसूली होनी थी। इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- सहकारिता विभाग में 3.50 करोड़ रुपए गबन का मामला था, जिसमें मात्र 43 रुपए की वसूली हुई। दोषी भी दंडित नहीं हुए।
- पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 10 दोषी अधिकारियों से 6.65 लाख रुपए की वसूली होनी थी। यह पैसा 15 साल में नहीं वसूला जा सका।
- पीएचई में ईई के विरुद्ध कार्रवाई होनी थी। इसमें 9 साल बाद 11 दोषियों से स्पष्टीकरण लिए गए हैं। इसी विभाग के एक अन्य मामले में 6 लोग दोषी थी, जिसमें से दो रिटायर हो गए और जांच अभी भी लंबित है।
- चार प्रमुख सचिव भी घेरे में
- समिति ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा से 29 जून 2015 को लंबित मामलों का जिक्र किया तो उन्होंने कहा, 15 दिन के भीतर सारे मामले निपटा दिए जाएंगे। नवंबर में उन्हें दोबारा बुलाया गया तो स्थिति जस की तस थी।
- स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने 17 अक्टूबर 2014 को बैठक में समिति के सामने कहा था कि एक माह के भीतर लंबित मामले खत्म कर दिए जाएंगे, लेकिन नहीं हुए। गत 24 जुलाई 2015 को वर्तमान प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने तीन माह में सारे मामले निपटाने की बात कही। यह भी नहीं हुआ।
- राजस्व विभाग के पीएस ने 6 मई 2015 की बैठक में कहा 15 अगस्त तक कोई पेंडेंसी नहीं रहेगी। लेकिन 28 सितंबर को उन्हें बुलाया तो स्थिति जस की तस थी।
- वन विभाग के पीएस एपी श्रीवास्तव (तत्कालीन, अब वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं) ने 14 जुलाई 2015 की बैठक में कहा था कि 15 अगस्त तक सभी मामले खत्म हो जाएंगे, जो नहीं हुए।