रेप करते वक्त नाबालिग भी एडल्ट बन जाते हैं: मेनका गाँधी

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गाँधी ने आज राज्यसभा में चर्चा के दौरान जुवेनाइल बिल पास करने की मांग करते हुए कहा कि रेप जैसे जघन्य अपराधों में नाबालिक अपराधियों को भी कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाबालिक रेप जैसे अपराधों को नाबालिक अपराधी भी एडल्ट माइंड से करते हैं इसलिए ऐसे अपराधों उन्हें वयस्कों की तरह ही सजा देनी चाहिए।

बता दें कि आज निर्भया के माता पिता भी सदन में ही मौजूद हैं। उन्होंने पहले केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी मुलाकात की। निर्भया के माता पिता किसी भी कीमत पर अपनी बेटी के लिए इन्साफ चाहते हैं और रेप के आरोपी को कड़ी सजा दिलाना चाहते हैं। निर्भया के नाबालिक रेपिस्ट की रिहाई के बाद संसद पर भी कठोर कानून बनाने का दबाव बढ़ा है।

जुवेनाइल बिल पास होने से रेप जैसे जघन्य अपराधों में 16 से 18 वर्ष के लोगों को भी कठोर सजा दी जा सकेगी साथ ही नाबालिक अपराधी अपराध करते वक्त डरेंगे। हालाँकि कई सांसदों ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि अगर 15 वर्ष 11 महीने के अपराधी ने ऐसा गुनाह किया तो क्या हमें फिर से कानून में सुधार करना पड़ेगा, इसलिए कानून में कुछ और बातें जोड़नी पड़ेंगी।

कई सांसदों ने समाज में गन्दगी फ़ैलाने वाली फिल्मों और अश्लीलता फ़ैलाने वाले फिल्म निर्देशकों पर भी लगाम लगानी की बात की।

राज्य सभा में जुवेनाइल बिल पर चर्चा की शुरुआत विपक्ष के नेता गुलाम नवी आजाद ने की।  उन्होंने बिल को पास करने की सिफारिश करने के साथ साथ यह भी कहा कि गाँवों और शहरों की गलियों में रौशनी का इंतजाम किया जाय साथ ही पुलिस पेट्रोलिंग भी बढाई जाय।

नए बिल और पुराने बिल में क्या अंतर है?
पहले वाले जुवेनाइल जस्टिस बिल 2000 Act के मुताबिक नाबालिक अपराधियों की सजा के बाद देखभाल और सुरक्षा दी जाती है जबकि नए बिल में जघन्य अपराधों में 16-18 वर्ष के अपराधियों पर बालिग़ अपराधियों की तरह केस चलाया जाएगा। पहले वाले बिल के मुताबिक नाबालिक अपराधी को तीन साल तक सुधार गृह में भेज दिया जाता है और उस पर ना तो कोई जुर्माना लगता है और ना ही अपराधिक केस चलाया जाता है। नए बिल में देश के सभी जिलों में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बनायी जाएगी।  जीजीबी शुरुआती जांच और मेंटल व फिजिकल स्टेटस के आधार पर तय करेगा कि नाबालिक अपराधियों को बाल सुधार गृह भेजा जाए कि नहीं। जीजीबी की जांच के बाद कोर्ट तय करेगा कि नाबालिक अपराधी पर एडल्ट की तरह केस चलाया जाए या नहीं। हालाँकि नए बिल के हिसाब से भी नाबालिक अपराधी को सजा देने में काफी समय लगेगा। 

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