
पुलिस अफसर मानकर चल रहे थे कि आयोजन परिसर के भीतर हो रहा है। लोग शांतिपूर्वक आ रहे हैं और ऐसे ही वापस भी चले जायेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भीड़ अचानक ईदगाह से बाहर निकलना शुरू हुई और सड़कों पर जाम लग गया। प्रशासन कुछ समझ पाता इससे पहले ही भीड़ ने तोड़ फोड़ शुरू कर दी।
कुल मिलाकर यह पुलिस व प्रशासन को अंधेरे में रखकर शहर पर हुआ हमले जैसा था। प्रदर्शनकारियों ने जो चाहा वो किया, यदि वो कोई गंभीर वारदात करना चाहते तो भी कर सकते थे। अब सरकार को यह सोचना होगा कि इस तरह के धार्मिक परिसरों में होने वाले आयोजनों पर खुफिया निगरानी कैसे की जाये ताकि हालात बिगड़ने से पहले सुधारे जा सके।