जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विकासखंड अकादमिक समन्वयक (बीएसी) जनशिक्षक के पूर्व अनुभव की अवहेलना करके नई नियुक्तियां किए जाने के रवैये को अनुचित करार दिया। इसी के साथ राज्य शिक्षा केन्द्र के आयुक्त सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। यही नहीं याचिकाकर्ता को काउंसिलिंग में शामिल करने भी निर्देश जारी किया गया है।
न्यायमूर्ति शील नागू की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता सतना निवासी संजय सिंह बघेल का पक्ष अधिवक्ता सुधा गौतम ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता 6 फरवरी 2011 से जनशिक्षक बतौर कार्यरत है। इसके बावजूद राज्य शिक्षा केन्द्र ने 30 अक्टूबर 2015 को नई नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाला, जिसमें अनुभवियों को दरकिनार कर दिया गया।
बहस के दौरान दलील दी गई कि 28 फरवरी 2015 को सहायक संचालक की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें अनुभवियों को वरीयता का बिन्दु शामिल किया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि बीएसी-जनशिक्षक की नियुक्ति में विपरीत रवैये क्यों अपनाया गया?