
संपादकीय में पाकिस्तान की धरती को भारतीय नेताओं के लिए शापित बताया गया। साथ ही मोदी को सलाह दी गई कि वे अटलबिहारी वाजपेयी की तरह आफत को बुलावा ना दें। इसमें लिखा है, ‘आडवाणी पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर गए थे। उनकी तारीफ की थी। बाद में आडवाणी के राजनीतिक ग्राफ में गिरावट आने लगी। आज उन्हें कोई नहीं पूछता।
इसी तरह वाजपेयी ने भी 1999 में लाहौर-दिल्ली बस सेवा शुरू कर पड़ोसी देश से संबंध सुधारने की पहल की थी। फिर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी आगरा का दौरा किया। इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व में कभी भाजपा की सरकार नहीं बन पाई।’ शिवसेना ने सवाल उठाया कि यदि कोई कांग्रेसी प्रधानमंत्री इसी तरह अचानक पाकिस्तान गया होता तो क्या भाजपा ऐसे ही उनका स्वागत करती?