बालाघाट। लकड़ी तस्करी मामले में घिरे कलेक्टर वी.किरण गोपाल की मुश्किलें कम होती नही दिख रही है। पहले साढ़े 8 लाख रू. की लकड़ियों को फर्जी टीपी के माध्यम से घर पहॅुचाने के आरोप में जहां पुलिस जाॅच में जुटी है वहीं पूर्व विधायक किशोर समरीते के नये आरोपों ने कलेक्टर और उसकी पत्नि को संदेह के घेरे में ला खड़ा कर दिया है। समरीते का आरोप है कि कलेक्टर ने अपनी डाॅक्टर पत्नि को एनआरएचएम के माध्यम से जिला चिकित्सालय में संविदा नौकरी को दिलवा दी लेकिन पत्नि बिना काम के मोटी तनख्वा ले रही है इतना ही नही कलेक्टर पर करोड़ो रू. के रिश्वत के आरोप समरीते ने लगाये है।
जिला चिकित्सालय में पहले चिकित्सक के पद पर पिछले कई महिनों से कलेक्टर वी.किरण गोपाल की पत्नि कार्य कर रही है। जिसके प्रमाण बकायदा जिला चिकित्सालय के रजिस्टर पर श्रीमती डाॅ. दीप्ती के हस्ताक्षर से पुख्ता होते है लेकिन कलेक्टर की पत्नि होने के नाते वे हास्पिटल में डियूटी नही करती ऐसी परिस्थिति में पत्रकारों ने जिला चिकित्सालय के सीएचएमओ से जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि भाषा अलग होने से मरीज समझ नही पाते इसलिये उनसे कार्य नही कराया जाता। साथ ही 45 हजार रू. की तनख्वा भी कलेक्टर की पत्नि को दी जाती है।
डाॅ.के.के. खोसला सीएचएमओ से जब जानकारी चाही तो मीडिया को इस मामले मे जानकारी देने से मना कर दिया। मामले के सामने आते ही बसपा नेता किशोर समरीते ने कलेक्टर की कार्य प्रणाली को आड़े हाथ लेते हुये कलेक्टर पर पद का दुरूपयोग का आरोप लगाते हुये एनआरएचएम में सीएचएमओ एवं अन्य डाॅक्टरों पर भ्रष्टाचार कर लाखों रू. की रिष्वत कलेक्टर को देने का सनसनीखेज आरोप कलेक्टर पर लगाते हुये मामले को गर्मा दिया है।
उन्होंने सवाल भी उठाये की जब पूर्व कलेक्टर जिला चिकित्सालय में बायोमेट्रिक थम मशीन प्रारंभ थी तो ऐसे में मशीन को क्यों बंद किया गया। मतलब पत्नि को बिना चिकित्सालय भेजे मोटी तनख्वा घर बैठे प्राप्त करनी थी। कलेक्टर वी.किरण गोपाल पर लगे नये आरोप जहां एक ओर उनकी मुश्किले बड़ा सकते है वहीं अब पुलिस प्रशासन को पूरे मामले की जाॅच कर दूध का दूध और पानी का पानी करना होगा ताकि प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे नौकरषाहो की साख और सरकार की छबि आम जनता के बीच साफ सुथरी हो सकें।