भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों के नहीं जाने को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अस्पताल बना दिए, उपकरण रख दिए पर मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा। वजह, डॉक्टर गांव के अस्पतालों में जाना नहीं चाहते। डॉक्टरों की कमी दूर करने सात नए मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं। लेकिन, सबसे बड़ी चिंता यह है कि टीचर कहां से लाएं। इसके लिए उन्होंने देश-विदेश में काम कर रहे डॉक्टरों से मदद मांगी है।
मुख्यमंत्री रविवार को गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के हीरक जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 1964 के बाद पहला कॉलेज सागर में खोला। अब सात और मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं। लेकिन, इन कॉलेजों के लिए टीचर नहीं मिलने वाले हैं। इसे लेकर मैं बेहद चिंतित हूं। उन्होंने कहा कि मेरी इस चिंता में जीएमसी के उन डॉक्टरों भी भागीदार बनना चाहिए जो, देश-विदेश में कॉलेज और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। वे किस तरह से सहयोग करेंगे यह मुझसे ज्यादा डॉक्टर समझते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बेहतरी के लिए एक कमेटी बनाई जाए। यह कमेटी जो भी सिफारिश करेगी हम उसे मानेंगे और उसी रोडमैप पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चलेंगी। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी 1963 में जीएमएसी में कहा था मध्यप्रदेश समेत देश ग्रामीण अस्पतालों तक डॉक्टर पहुंचाना आगे चलकर सबसे बड़ा चैेलेंज होगा।
सरकारी ढर्रे में कुछ लोग सुधरना नहीं चाहते
मुख्यमंत्री ने कहा जीएमसी के ऑडीटोरियम में एसी और नई कुर्सियां लगवाने की घोषणा की। एलुमिनाई कमेटी के सचिव डॉ शैलेष लूनावत ने उन्हें बताया था कि 37 लाख रुपए पुराने छात्रों से इकठ्ठे कर ऑडीटोरियम का जीर्णोद्घार किया गया है, लेकिन अभी एसी और नई कुर्सियों की जरूरत है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा अच्छा है आपने खुद पैसा का इकठ्ठा कर लिया। अगर हमारे भरोसे रहते तो सकता है नहीं बन पाता। वजह, सरकारी ढर्रा है। इसमें कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने तय कर लिया हम नहीं सुधरेंगे।