
दरअसल, करीब 4.5 लाख जनप्रतिनिधियों की सक्रियता का दावा करने वाला यह संगठन इसी साल 6 जून को अस्तित्व में आया था, जो 1993-94 का पंचायती राज अधिनियम जस का तस लागू करने की लगातार मांग कर रहा है. 4 जनवरी 2016 को यह संगठन भोपाल में जुटने वाला हैं, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी. हालांकि, संगठन में मैहर उपचुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रचार करने और पार्टी उम्मीदवार करने की रणनीति पर सहमति बन गई है. संगठन के प्रदेश संयोजक डी. पी. धाकड़ के अनुसार सिर्फ सरकार लम्बे समय से उन्हें आश्वासन ही दे रही है, जबकि सरकार ने जनप्रतिनिधियों को पॉवरलेस कर अधिकारी वर्ग को मजबूत किया है.
धाकड़ के मुताबिक, पूरे प्रदेश के जनप्रतिनिधि खासे नाराज हैं. प्रदेश सरकार उनकी मांगे नहीं मानती हैं तो एक बार फिर ये संगठन, सरकार के खिलाफ लामबंद होगा और जल्द ही प्रदेश में ग्राम स्वराज यात्रा भी निकलेगा, जिसमें सरकार की नाकामियों का लेखा-जोखा होगा.
गौरतलब है कि पंचायती राज संगठन के बैनर तले 28 अक्टूबर को भोपाल में डेरा डालो- घेरा डालो आंदोलन किया गया था. इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को सरकार ने जेल भेज दिया था. इस आंदोलन में भाजपा के कई नेताओं ने भी हिस्सा लिया था, जिसमें रीवा के पूर्व विधायक और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा शामिल है. जिन्हें भाजपा ने बाद में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.