भोपाल। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा राहूकाल, पंचक और कालरात्रि के चलते शनिवार को जेल से रिहा नहीं हुए। ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक गहरीनीव का प्रभाव भी इस दौरान था। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान कोई शुभ काम करें तो अड़चनें आती हैं।
रविवार सुबह 10:35 बजे जब वह जेल से निकले तब लाभ का चौघड़िया चल रहा था। ग्रह भी उनके अनुकूल थे। यही कारण था कि लक्ष्मीकांत एवं उनके परिजनों ने जमानत मिलने के बावजूद शनिवार रात रिहाई के लिए ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की।
विदिशा से भोपाल आए महंत रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी ने बताया कि लक्ष्मीकांत पर 18 महीने से राहू की महादशा चल रही थी। इसलिए उन्हें जेल का कष्ट भोगना पड़ा, बुरा समय निकल गया है। उन्होंने दावा किया कि अब दोबारा जेल नहीं जाना पड़ेगा। शर्मा के बड़े भाई नलिनीकांत शर्मा भी ख्यात ज्योतिषी हैं।
राजधानी के ज्योतिषाचार्य डीके पंड्या का कहना है कि लक्ष्मीकांत की नाम राशि के हिसाब से उन्हें अष्टम शनि के कारण यह परेशानी भोगना पड़ी।
केंद्रीय जेल भोपाल के अधीक्षक अखिलेश सिंह तोमर ने बताया कि डेढ़ साल के दौरान लक्ष्मीकांत ने नियमों का पूरी तरह पालन किया। उनका पूरा समय आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ने और पूजा-पाठ में ही बीता। सप्ताह में दो दिन उपवास भी रखते थे। मुलाकात आदि के दौरान भी उन्होंने कभी दबाव डालने की कोशिश नहीं की। दूसरे कैदियों से भी मित्रवत रहे।