
जिला गुना के आरोन थाना में ज्ञानपुर निवासी बंसी बैरागी के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने पर विशेष सत्र न्यायालय एससी/एसटी गुना ने आरोपी को आजीवन कारावास (आधे) की सजा सुनाई थी और वह गुना की जेल में बंद है। उसने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई। उसके के अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए आरोपी की जमानत खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने मामले को स्वतः संज्ञान में ले लिया। उसकी सजा बढ़ाने के लिए आरोपी को ही नोटिस जारी कर दिए हैं और जवाब मांगा है। शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता भानुप्रताप सिंह चौहान ने पैरवी की।
दो तरह से सजा भुगतता है
शासकीय अधिवक्ता भानुप्रताप सिंह चौहान के अनुसार वैसे सुप्रीम कोर्ट के नियम के अनुसार आजीवन कारावास की परिभाषा बदल गई है। अगर किसी आरोपी को आजीवन की सजा सुनाई गई है तो मृत्य के बाद ही वह बाहर आ सकता है। वैसे आजीवन कारावास की सजा प्राप्त व्यक्ति 14 साल ही जेल में रहने के बाद वह रिहा हो सकता है।
गुना कोर्ट ने आजीवन कारावास की आधी सजा सुनाई थी। यानी उसे 7 साल जेल में रहना था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी सजा बढ़ाने के लिए नोटिस जारी किया है।