नई दिल्ली/पटना। भाजपा का संकट धीरे-धीरे गहराता जा रहा है। नेतृत्व यह नहीं समझ पा रहा है कि उसे आखिर करना क्या चाहिए। एक दिन वह भी था जब पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में उमा भारती ने तब के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को चुनौती दी थी कि आप मेरे खिलाफ कार्रवाई करें और भाजपा ने महज हफ्ते भर के भीतर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
हाल में जिन नेताओं ने भाजपा नेतृत्व को सर्वाधिक हैरान-परेशान किया है उनमें तीन नेता बिहार से ही हैं और तीनों लोकसभा सांसद हैं। इनके नाम हैं--कीर्ति आजाद, राजकुमार सिंह (आर के सिंह) व शत्रुघ्न सिन्हा।
छापे पर मोदी के साथ, टाइमिंग पर केजरी के साथ हैं 'शत्रु'
हाल में इन तीनों ही नेताओं ने भाजपा नेतृत्व की नाक में दम कर रखा है। बिहार भाजपा नेताओं की मानें तो विधानसभा चुनाव हरावाने में भी इन नेताओं की बड़ी भूमिका रही है। पूरे चुनाव के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने एक तरह से पीएम मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ काम किया। दूसरी ओर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए काम किया। सांसद आरके सिंह ने भी चुनावों के दौरान बिहार में भाजपा नेताओं पर ही उपेक्षा और टिकट बेचने का आरोप लगाया और तमाम कोशिशों के बाद भी वे अंत तक अपने बयान पर कायम रहे। पार्टी नेतृत्व की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। इन सबसे बढ़ कर हैं कीर्ति आजाद। उन्होंने लगातार पार्टी लाइन से अलग चलने की कोशिश की है। सुषमा स्वराज व ललित मोदी मामले में उन्होंने भले ही वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम सीधे-सीधे नहीं लिया, पर पूरे मामले का ठीकरा उन्हीं के सिर फोड़ दिया था।
कीर्ति इस बार आर-पार के मूड में
बीते कुछ महीनों में ये दूसरा मौका है जब क्रिकेट की सियासत ने मोदी सरकार के लिये मुश्किलें पैदा कर दी है। निशाने पर हैं वित्त मंत्री अरुण जेटली और दूसरी ओर हैं कीर्ति आजाद। इससे पहले ललित गेट मामले में भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप वे संकेतों में जेटली पर लगा चुके थे। आम आदमी पार्टी ने भी इसे मसला बना दिया है।
कीर्ति आजाद जेटली के खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंचे
आम आदमी पार्टी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए में घोटाले के आरोप लगाए हैं। जेटली पर आरोप लगते ही भाजपा आलाकमान हरकत में आ गया है। पार्टी ने डीडीसीए पर बयान देने वाले अपने सांसद कीर्ति आजाद को तलब कर चेतावनी दे दी है। मगर उन पर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। वे रविवार को पत्रकार वार्ता कर इस मामले का खुलासा करने पर अड़े हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रामलाल ने गुरुवार को सुबह-सबह ही आजाद को बुलाया और इस मामले पर चर्चा की। उनको कहा गया है कि वे डीडीसीए मामले पर कोई बयान जारी नहीं करें। अमित शाह ने रामलाल के माध्यम से आजाद को समझाने की कोशिश की है।
यह भी कहा जा रहा है कि शाह खुद आजाद से भेंट कर सकते हैं। महज कुछ महीने पहले कीर्ति आजाद ने दिल्ली में जब थाने में जेटली के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था तो शाह ने उन्हें बुलाया और एफआइआर वापस लेने की बात कही थी। तब उन्हें यह कह दिया गया था कि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो पार्टी आपको निकाल देगी।
इस बार आजाद भी आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। संगठन महामंत्री रामलाल से मिलने के बाद आजाद ने कहा है कि अभी तो महज 15 प्रतिशत खुलासा हुआ है। शेष 85 प्रतिशत का खुलासा अब वे स्वयं करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि हमारी पार्टी यह नहीं कहती है कि करप्सन के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ो।
शत्रुघ्न ने भी कम मुश्किलें खड़ी नहीं की
कहा जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किये जाने के बाद से शत्रुघ्न सिन्हा बेहद नाराज हैं। इस बार बिहार के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने एक के बाद एक ऐसे कमेंट किये, जिससे लालू और नीतीश को फायदा हुआ। मोदी से लेकर अमित शाह तक में से किसी को उन्होंने नहीं छोड़ा था।
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खबरें तो यह भी चलने लगीं थी कि वे जल्द ही जदयू में शामिल हो जाएंगे। एक के बाद एक ट्वीट उन्होंने किये, जो पार्टी के लिए असहज हो गये थे। जब आर के सिंह ने भाजपा नेतृत्व पर पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया था तब शत्रु ने इसका समर्थन किया था। इनको भी पार्टी ने संकतों में समझाने की कोशिश की थी, पर कोई असर नहीं हुआ था। हालांकि, अभी तक शत्रु ने आजाद के आरोपों का समर्थन नहीं किया है।
आर के सिंह ने तो टिकट बेचने का आरोप लगाया था
जब बिहार में विधानसभा चुनाव में एनडीए टिकटों के वितरण में व्यस्त था तभी यह धमाकेदार बयान भाजपा से सांसद आर के सिंह ने दिया था कि राज्य भाजपा के नेता टिकटों को बेच रहे हैं। उनका निशाना सुशील कुमार मोदी और पार्टी के बिहार अध्यक्ष मंगल पांडेय पर था। इन आरोपों के बाद खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने सफाई दी थी। सुशील कुमार मोदी और मंगल पांडेय ने भी उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था। पर, तमाम कोशिशों के बाद भी आर के सिंह अपने बयान पर कायम रहे और भाजपा को बिहार चुनाव में नुकसान उठा लेना पड़ा।
शाह-मोदी के नेतृत्व पर उठ रहा सवाल
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा काफी जोर-शोर से चल रही है कि अमित शाह की भाजपा आखिर में किसकी पार्टी है। कौन इसे चला रहा है। अनुशासनहीनता आखिर इनती बढ़ती क्यों जा रही है। क्या पार्टी फोरम में इसके नेताओं को अपनी बात कहने की अनुमति नहीं है। क्या पार्टी में असहिष्णुता या असंतोष बढ़ता जा रहा है। या फिर पूरी पार्टी ही गुटों में बंट गई है।
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कहा तो यह भी जा रहा है कि बिना किसी बड़े नेता या फिर संघ की अनुमति के आजाद इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकते। उसी तरह की चर्चा शत्रुघ्न सिन्हा और आर के सिंह के बारे में भी कहा जा रहा है। यह माना जाता है कि शत्रुघ्न सिन्हा वरिष्ठ नेता आडवाणी के खेमे के हैं तो दूसरी ओर आर के सिंह को गृह मंत्री अरुण जेटली के गुट का माना जाता है।