मशहूर फिल्म अभिनेता और लोकसभा सदस्य परेश रावल ने प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के संदर्भ में शिक्षा आतंकवाद का जुमला उछालते हुए देश में निजी कोचिंग संस्थानों के लिए नियम-कानून बनाने की मांग की। गुरुवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने अपने खास अंदाज में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा या नहीं, ये भगवान तो क्या, रजनीकांत भी नहीं बता सकते।
रावल ने कहा कि आतंकवादियों की तरह सरकार को कोचिंग संस्थानों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। उनकी संख्या के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि कोचिंग संस्थानों को लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं जबकि स्कूल खोलने के लिए सरकार की अनुमति चाहिए। कोचिंग संस्थाओं की सरकारी शिक्षकों के साथ सांठगांठ है और ये प्रतियोगिता परीक्षाओं को भी प्रभावित कर सकती हैं।
शिक्षा की स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजना चाहते और वे उन्हें कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं। जहां कुछ सरकारी शिक्षक काम पर लगे होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी कर्मचारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी परिवहन का इस्तेमाल करने लगें तो उनकी गुणवत्ता सुधरेगी लेकिन साथ ही इस बात पर सवाल उठाया कि क्या ऐसा होगा।