भोपाल। राजधानी के प्रशासन अकादमी में 17.88 लाख रुपए के गबन मामले में बड़े अफसरों को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। लेखाधिकारी, लेखापाल और नियंत्रणकर्ता अधिकारी की संलिप्तता की जांच ही नहीं की गई। विधानसभा की लोकलेखा समिति ने बड़े अधिकारियों की जांच करने की सिफारिश करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग से गबन राशि की वसूली की ताजा स्थिति बताने के निर्देश दिए हैं।
ज्ञात हो कि अकादमी के आंतरिक लेखा परीक्षण में 2009 को गबन का मामला सामने आया था। लोकलेखा समिति ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में टेबल की रिपोर्ट में बताया कि आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी ने 2001 से 12 तक प्राप्त राशि 25.88 करोड़ अपने बैंक खाते में जमा रखे और व्यय भी किया, जो गलत था।
विभाग ने समिति को जांच के दौरान बताया कि 17.88 लाख रुपए के गबन की जानकारी मिलने पर अकादमी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को हटा दिया गया। अन्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कर्मचारी को निलंबित कर उसकी सेवाएं मूल विभाग को वापस कर दी। अकादमी के कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के बाद एक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।
गबन की राशि की वसूली कर्मचारियों को मिलने वाले भुगतान से की गई। ईओडब्ल्यू को मामला सौंपा गया है। समिति ने पाया कि जिन पर कार्रवाई की गई वे दैनिक वेतनभोगी, रसोइयां, वेटर स्तर के कर्मचारी थे। विभाग ने गबन में इनकी संलिप्तता बताई है, जबकि ऐसा लगता है कि बड़े अधिकारियों को संरक्षण देकर छोटे कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया।
वित्तीय मामलों में लेखाधिकारी, लेखापाल एवं सक्षम नियंत्रणकर्ता अधिकारी की लापरवाही की जांच विभाग को करनी चाहिए थी। समिति ने सिफारिश की है कि वित्तीय नियमों में संशोधन के अकादमी के प्रस्ताव पर प्रक्रिया तय की जाए। गबन की राशि वसूली की ताजा स्थिति बताई जाए और बड़े अधिकारी (लेखाधिकारी, लेखापाल और नियंत्रणकर्ता अधिकारी) की संलिप्तता की जांच की जाए।
गबन में ये लोग थे लिप्त
आरए रैकवार के साथ ज्ञानी प्रसाद (दैवेभो), सुरेंद्र कुमार (दैवेभो), लल्लू पांडे (दैवेभो), छबिलाल यादव रसोईया और शिवजी प्रसाद। शिवाजी प्रसाद से 11 हजार, लल्लू पांडे से 7 हजार 985 रुपए जमा कराए गए। जबकि, छबिलाल यादव को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देते हुए उन्हें मिलने वाली राशि में 2 लाख 27 हजार 159 रुपए के वसूली आदेश दिए गए हैं।