मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा-महिलाओं को सुविधाजनक स्थान पर स्वच्छ व सुरक्षित शौचालय पाने का अधिकार है। इस संबंध में दिए गए दिशा-निर्देशों को राज्य की सभी महानगरपालिकाएं लागू करें।
न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ ने यह निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए शौचालय नहीं होने के मुद्दे को उठाया गया है।
ये दिए निर्देश
खंडपीठ ने सभी महानगरपालिकाओं को महिलाओं के लिए शौचालय बनाने के लिए व्यापक नीति बनाने का निर्देश दिया है। इसके लिए मनपा आयुक्तों की अध्यक्षता में चार सप्ताह के भीतर कमेटी बनाने के लिए कहा गया है। सभी चहल पहल भरे इलाकों में महिलाओं के लिए शौचालय बनाने पर विचार करने के लिए कहा गया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए शौचालय के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। बाहर महिला सुरक्षाकर्मी तैनात किया जाए। शौचालय में साबुन,आईना व अन्य सभी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। खंडपीठ ने इस संबंध में सभी महानगरपालिकाओं से 8 मार्च तक रिपोर्ट सौपने का निर्देश दिया है।
गोद लेने की प्रक्रिया को बनाएं सरल
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार काे कहा-गोद लेने के संबंध में सेंट्रल एडाप्शन रिर्सोस एथॉरिटी(कारा) की ओर से तैयार किए गए नए दिशा-निर्देशों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अभी भी बहुत से अभिभावक गोद लेने की ऑनलाइन प्रक्रिया से अवगत नहीं है। लिहाजा गोद लेने की प्रक्रिया सरल व प्रभावी बनाई जाए। न्यायमूर्ति वीएम कानडे व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ ने यह बात फेडरेशन ऑफ एडाप्शन एजेंसी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में मुख्य रुप से कारा की ओर से गोद लेने के विषय में बनाए गए नए दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 8 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
संस्थाओं ने जताया एेतराज
अभिभावकों का कहना है कि एक अगस्त से लागू नए दिशा-निर्देशों के कारण उन्हें गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा करने में दिक्कतें आ रही है। अनाथ व बेसहारा बच्चों की देखरेख करनेवाली संस्थाओं ने भी नए दिशा –निर्देशों पर ऐतराज व्यक्त किया है।