भोपाल। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति और भर्ती प्रक्रिया का अधिकार राज्य सरकार कलेक्टर को देने की तैयारी की जा रही है। इन पदों पर सबसे पहले संविदाकर्मियों और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को अवसर देने पर भी विचार किया जा रहा है। यह सारी कवायद व्यावसायिक परीक्षा मंडल के सुझाव पर की जा रही है। पहले ये भर्ती परीक्षा व्यापमं करवाने वाला था लेकिन बाद में उसने इकार कर दिया।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव अंटोनी डिसा को भेज दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हरी झंडी मिलने के बाद कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो कि अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती परीक्षा करवा सकेंगे।
हाल ही में व्यापमं अध्यक्ष अरूणा शर्मा ने सरकार को पत्र लिखकर चपरासी की भर्ती परीक्षा कराने से इंकार किया है। उन्होंने हाल ही में चपरासी भर्ती का हवाला देते हुए कहा है कि 937 पदों के लिए 3 लाख 70 हजार लोगों ने आवेदन किया था। इसमें हजारों ऐसे आवेदन एमबीबीएस, इंजीनियर और पोस्ट ग्रेज्यूएट शामिल हैं, जबकि चपरासी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8 वीं पास है।
व्यापमं अध्यक्ष ने इस मामले का हवाला देते हुए सुझाव दिया था कि इससे मंडल की व्यवस्था बिगड़ रही है वहीं दूरस्थ जिले के निवासी का अन्य किसी जिले के लिए चयनित होने पर नौकरी करने में भी परेशानी आएगी। इन सबको ध्यान में रखते हुए चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर स्थानीय स्तर पर ही भर्ती कराई जाना उचित है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश भर में 1000 से अध्ािक चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर भर्ती की जाना है। इसमें अकेले मंत्रालय में 100 चपरासी के रिक्त पदों पर भर्ती की जाना शामिल है।
इंटरव्यू की अनिवार्यता समाप्त
केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में इंटरव्यू की अनिवार्यता समाप्त करने जा रही है। मुख्य सचिव ने सभी विभाग प्रमुखों से जानकारी मांगी है कि इनके अलावा उनके विभागों में ऐसे कौन से पद हैं, जिन्हें इंटरव्यू की आवश्यकता नहीं है।