नई दिल्ली। देश में बेकार पड़े 660 खरब रुपये (10 खरब डॉलर) के सोने के मौद्रिकीकरण की कोशिश में जुटी सरकार की नजर मंदिरों के पास मौजूद स्वर्ण भंडार पर है। मंदिर सरकार की 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' में सोना निवेश करने को तैयार हैं, लेकिन इसकी सबसे बड़ी बाधा आभूषणों को गलाने की है।
मंदिर दान में मिले आभूषणों को गलाने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि इससे दानदाता भक्तों की भावनाएं आहत हो सकती हैं। देश के प्रसिद्ध व स्वर्ण भंडार वाले मंदिरों के पदाधिकारियों का कहना है कि वे सरकार की स्कीम में तत्काल निवेश को तैयार नहीं हैं। विचार जारी है, लेकिन अंतिम फैसला लिया जाना है।
केरल के श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर और शिरडी के सांई बाबा मंदिर के मामले चूंकि कोर्ट में चल रहे हैं, इसलिए वे योजना में निवेश नहीं कर सकते। योजना के प्रति केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान के मंदिरों का ठंडा रुख है, वहीं आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल व गुजरात के मंदिरों ने आरंभिक रुचि दिखाई है।
22 हजार टन सोने पर नजर
प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी स्वर्ण मौद्रिकीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम) की नजर देश के मंदिरों व घरों में बेकार पड़े 22 हजार टन सोने पर है। सरकार चाहती है कि इसका उपयोग कर सोने का आयात कम किया जाए, ताकि बेशकीमती विदेशी मुद्रा सोने में न लगे। योजना में नियमित ब्याज के साथ बाजार में भाव बढ़ने पर होने वाले लाभ भी मिलेंगे। हालांकि इसके लिए सोना गलाना होगा। वापसी के समय उन्हें 99.5 फीसद शुद्धता के साथ या तो सोना वापस दिया जा सकेगा या रुपये में उसका मूल्य।
अंबाजी मंदिर तैयार नहीं
गुजरात के अंबाजी मंदिर ने तो स्कीम में सोना लगाने से इन्कार कर दिया है, वहीं सोमनाथ मंदिर ने प्रस्ताव तैयार किया है। लेकिन अंतिम निर्णय ट्रस्ट करेगा। देवभूमि द्वारिका के द्वारकाधीश मंदिर ने अभी कोई निर्णय नहीं किया है।
सिद्धि विनायक तैयार
मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर ने निवेश की मंशा जताई है। अपने 160 किलो स्वर्ण भंडार में से वह करीब 10 किलो एक बैंक में जमा करा चुका है।
तिरुपति मंदिर का फैसला जल्द
विश्व में हिंदुओं के सबसे धनी मंदिर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का संचालन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की उच्चाधिकार निवेश समिति की बैठक भी जल्द होगी। इसमें सरकारी योजना में मंदिर के सोने के निवेश पर फैसला होगा। वहीं आंध्र के दूसरे सबसे धनी मंदिर विजयवाड़ा के कनकदुर्गाम्मा मंदिर का योजना में शामिल होने का इरादा नहीं है।