
मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम मयूर पार्क पर रविवार सुबह 8.00 बजे मप्र की बेटियों का सामना चंडीगढ़ से हुआ। नजारा यह था कि चंडीगढ़ पूरी एक ही प्रकार की किट में नजर आ रही थीं। सभी के शूज भी स्पेशल हॉकी टर्फ वाले थे। जबकि मप्र की खिलाड़ी अलग-अलग रंग के पीटी शूट पहने हुईं उतरीं। फिसलन में कई बार गिरीं भी और चोटिल भी हुईं। इसी का फायदा उठाकर चंडीगढ़ की खिलाड़ी दनादन एक के बाद एक गोल दागतीं रहीं और प्रदेश की खिलाड़ी उनका प्रतिकार भी नहीं कर पाईं और चार गोल खाकर टूर्नामेंट से बाहर हो गईं।
1200 रुपए में हॉकी शूज कहां से लाएं : दल प्रबंधक
मप्र टीम के दल प्रबंधक आरके द्विवेदी मैदान पर बैठे अपनी टीम को हारते हुए देखते रहे। जब उनसे इस बारे में पूछा कि हमारी खिलाड़ियों के पास किट तक नहीं हैं। शूज भी टर्फ पर खेलने लायक नहीं हैं। खिलाडिय़ों को चोट लगने का डर है। इस पर उन्होंने कहा कि नेशनल में एक खिलाड़ी का बजट 1200रुपए है। उसमें हॉकी शूज कहां से आ जाएंगे। इसलिए पीटी शूज दे दिए जाते हैं। साथ ही ट्रेकशूट और टीशर्ट-नेकर भी तो देना होता है।
खेल अनेक किट एक
खेल कोई सा भी हो स्कूल शिक्षा विभाग खिलाड़ियों को किट एक जैसी ही देता है। फिर भले ही उस किट का उस खेल से संबंध हो या न हो। क्रिकेट में भी खिलाड़ियों को किट के नाम पर पीटी शूज और नेवी ब्ल्यू नेकर-टीशर्ट ही दी जाती है, इसी तरह तलवारबाजी में यही किट, रोप स्की पिंग में यही। इनके अलावा जो भी खेल आयोजित होते हैं, विभाग किट के नाम पर बस यही देता है।