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फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रत्येक कोर्स के फाइनल सेमेस्टर की मार्कशीट और उसकी डिग्री को स्कैन किया जाएगा। इसे एमपी ऑनलाइन के माध्यम से वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसके लिए जेयू की वेबसाइट को एमपी ऑनलाइन की साइट से लिंक किया जाएगा। इसलिए कोई भी एजेंसी मार्कशीट या डिग्री में लिखे रोल नंबर को फीड करते ही पल भर में ही सच्चाई का पता लगा सकेगी।
बंद हो जाएगा री-वैल्यूएशन, री-टोटलिंग का गोरखधंधा
जेयू प्रशासन दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव अंक चार्ट में करने जा रहा है। अभी रिजल्ट तैयार करने वाली फर्म से कागज के जो अंक चार्ट आते हैं, उनकी न तो स्कैनिंग की जाती है और न ही उसका लेमिनेशन होता है। ऐसा होने से पुराने चार्टों में अंकों का हेरफेर कर फेल-पास का गोरखधंधा चल रहा है। चार्ट के पन्नो भी बदलने के मामलों का खुलासा हो चुका है, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अब रिजल्ट घोषित होते ही अंक चार्टों की स्कैनिंग की जाएगी। साथ ही उनका लेमिनेशन भी कराया जाएगा।
नई व्यवस्था के और भी लाभ
दोनों व्यवस्थाएं होने से जेयू में मार्कशीट, डिग्री और अंक चार्टों का रिकॉर्ड ऑनलाइन भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसलिए मैन्युअल रिकॉर्ड में यदि हेरफेर की जाती है तो उसे तुरंत पकड़ा जा सकता है। दूसरा लाभ यह होगा कि चार्ट फटने या खोने का झंझट खत्म हो जाएगा।
आठ जनवरी तक जमा करना हैं टेंडर
जेयू प्रशासन ने अपनी अध्ययनशालाओं के साथ ही संबद्ध 400 कॉलेजों में अध्ययनरत 2 लाख छात्रों की परीक्षा और परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया (प्री एण्ड पोस्ट एग्जामिनेशन वर्क) के लिए 11 दिसम्बर को विज्ञापन जारी किया था। इसी बीच तेलंगाना में फर्जी सेंटर और डिग्रियां बांटने की जांच लेकर सीआईडी टीम जेयू में खड़ी हो गई। इससे पहले ही सऊदी अरब तक जेयू की फर्जी डिग्री पहुंचने के मामले का खुलासा हो चुका था। इससे जेयू प्रशासन चिंतित हो गया और विज्ञापन में संशोधन को विवश होना पड़ा। इसलिए नए कार्यों को शामिल करते हुए जेयू ने संशोधित विज्ञापन जारी किया है।
इनका कहना है
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए हम फाइनल की मार्कशीट, डिग्री व अंक चार्टों की स्कैनिंग कराएंगे। उसे नेट पर अपलोड करने से कई लाभ होंगे। नए बदलाव करते हुए हमने संशोधित विज्ञापन जारी किया है।
प्रो. संगीता शुक्ला, कुलपति