जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट मनाही के बावजूद रेलवे द्वारा प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दिए जाने के रवैये को याचिका के जरिए कठघरे में रखा गया है। इस सिलसिले में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के सदस्य जीपी सिंघल ने चेयरमैन रेलवे बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नागेन्द्र कुमार सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता मेघनाथ बैनर्जी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मंडल रेल प्रबंधक रतलाम ने 7 अगस्त 2015 को 16 कर्मचारियों की पदोन्नति का आदेश जारी किया। चूंकि ये पदोन्नतियां आरक्षण का लाभ देते हुए दी गईं अतः चुनौती के योग्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना
बहस के दौरान दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने एम नागराज वाले केस में साफ कर दिया था कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ न दिया जाए। यही नहीं अधिकरणों से भी समय-समय पर ऐसे ही आदेश सुनाए। इसके बावजूद रेलवे में ऐसा किया गया। लिहाजा, विधि के प्रतिकूल प्रमोशन निरस्त किए जाने योग्य हैं।