राकेश दुबे@प्रतिदिन। लालू प्रसाद यादव, अरुण जेटली, अमित शाह, फारुक अब्दुल्ला, शरद पवार, यशवंत सिन्हा, राजीव शुक्ला, ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो खेल की राजनीति में भी अव्वल नंबर पर हैं, और आए दिन कोई न कोई खेल बिगाड़ने में बाज नहीं आते। इन सभी नेताओं का विभिन्न खेल संगठनों के साथ किसी न किसी तरह से जुड़ाव है, और जब भी कोई खेल संगठन में भ्रष्टाचार की बात सामने आती है तो ये सभी मौन धारण कर लेतें हैं, जैसे की एक-दूसरे को बचाने का अघोषित समझौता हुआ हो।दरअसल, खेल संगठनों में राजनीति करना देश में नेताओं के लिए फैशन सा बन गया है। यही नहीं और राजनीति में हाशिये पर चले गये कुछ नेताओं के लिए खेल संगठन अस्तित्व में बने रहने का जरिया भी बने हुए हैं।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली डिस्ट्रीक्ट क्रिकेट ऐसोशिएशन में व्याप्त भ्रष्टाचार और उसमें अरुण जेटली की भूमिका सुर्खियां बंटोर रही हैं, कुछ साल पहले कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में गड़बड़ी को लेकर कोंग्रस नेता सुरेश कलमाडी संदेह के घेरे में थे। हॉकी इंडिया में चल रही धांधलियां भी अक्सर खबरों में छाई रहती हैं। कुल मिलाकर पिछले कुछ सालों में खेल से ज्यादा खेल संगठनो की जड़ तक पहुंच चुके भ्रष्टाचार के किस्से ज्यादा प्रचलित हुए हैं।
भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा करीबन 40 साल तक आर्चरी ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे। कांग्रेस की नेता विद्या स्टोक्स ने चार बार भारतीय महिला हॉकी ऐसोसिएशन की अध्यक्षता की और हॉकी इंडिया ने२०१५ में उन्हें लाइफ टाइम प्रेसिडेन्ट के पद पर नियुक्त किया, कांग्रेस के जगदीश टाइटलर जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर रहे। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह शूटींग फेडरेशन के अध्यक्ष रह चुके हैं, भाजपा के अनुराग ठाकुर बीसीसीआई का सेक्रेटरी पद संभालने के साथ साथ हॉकी इंडिया में ऐसासिएट वॉइस प्रेसिडेन्ट की भूमिका भी निभा रहे हैं, भाजपा के यशवंत सिन्हां ने सन 2000 से 12 सल तक ऑल इंडिया टेनिस ऐसोसिएशन का अध्यक्ष पद संभाला, तो उनके बिहारी साथी राजनेता लालू प्रसाद यादव सन् 2001 में बिहार क्रिकेट ऐसोसिऐशन के अध्यक्ष बनें।
सुरेश कलमाडी ने जेल जाने से पहले 16 सालों तक इंडियन ओलम्पिक ऐसोसिएशन का अध्यक्ष पद संभाला। उनके कांग्रेसी साथी विद्या चरण शुक्ल भी कभी अध्यक्ष रह चुकें हैं, इंडियन नेशनल लोकदल के ओमप्रकाश चौटाला ने करीबन 5 साल तक इंडियन ओलम्पिक ऐसोसिएशन की अध्यक्षता की, जबकि कॉमनवेल्थ गेम्स में धांधली को लेकर जेल तक का सफर तय करने वाले उनके बेटे अभय चौटाला इंडियन ऐमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन में अध्यक्ष रह चुके हैं।
यही नहीं अभय के भाई अजय चौटाला टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। कांग्रेस के प्रियरंजन दास मुन्शी ने करीबन 20 साल ऑल इंडियन फुटबॉल फेडरेशन का अध्यक्ष पद संभाला। 2008 में मुन्शी जी को खराब स्वास्थ्य की वजह से अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा, पर उनकी जगह भी एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल के रूप में किसी नेताजी की ही नियुक्ति हुई।
अलग-अलग स्टेट क्रिकेट ऐसोसिएशन और बीसीसीआई में अरुण जेटली, शरद पवार और राजीव शुक्ला की दखलअंदाजी किसी से छुपी हुई नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, लेकिन उनकी जगह अध्यक्ष पद पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आ गए।कुल मिलाकर तकरीबन हर एक संगठन में नेताजी परदे के पीछे का खेल खेल रहे असली खिलाड़ी हैं और कुछ तो ऐसे भी हैं जो एक से ज्यादा खेल संगठनो में पद धारक हैं या रह चुके हैं। इतना ही नहीं जब इन्हें संगठन के संविधान या कोर्ट के फैसलों की वजह से अपना पद छोड़ना पड़ता है, तब भी नई नियुक्ति के तौर पर कोई नेताजी ही आते हैं, ना की कोई खिलाड़ी।
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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