कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में घर से दूर अच्छे जीवन का सपना संजोए पहुंची एक मासूम को एक परिवार ने बंधुआ मजदूर बना दिया. पेशे से शिक्षक आरोपी दंपत्ति न केवल मासूम को घर का भारी काम करा प्रताड़ित करते थे, बल्कि उसको पेट भर खाना तक नहीं देते थे.
मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा का है. 15 साल की मासूम झारखंड के देवगांव की रहने वाली है. करीब 10 साल पहले कोरबा के एनटीपीसी में दिल्ली पब्लिक स्कूल के शिक्षक शुशांत सारंगी और उनकी पत्नी चंदना सारंगी के साथ कोरबा आ गई थी.
नाबालिग के माता-पिता का स्वर्गवास पहले ही हो चुका था. घर की बड़ी बहन की शादी हो गई थी. लिहाजा बेहतर भविष्य का सपना दिखा चंदना सारंगी उसको अपने घर ले आई.
शुरुआत के कुछ दिन तो उसके साथ सब ठीच चला लेकिन बाद में उसको बात-बात पर प्रताड़ित किया जाता था. मासूम से आरोपी दंपत्ति घर का पूरा काम करवाते थे. अगर वह किसी काम को करने से मना करती तो उसके साथ मारपीट भी करते.
मासूम का कहना है कि उसे एक वक्त का खाना तब दिया जाता था जब वह घर का सारा काम करती थी. कई बार घर पर मौजूद शिक्षक दंपत्ति की छोड़ी बेटी को उसपर दया आ जाती थी तो वह उसे चोरी छिपे खाना देती थी लेकिन पता चलने पर उसके माता-पिता उसको भी डांटा करते थे.
शारीरिक प्रताड़ना का ही नतीजा है कि मासूम के पूरे हाथ में जख्मों के निशान साफ देखे जा सकते हैं. अब तो उसकी उंगलिया भी सीधी नहीं होती.
मासूम के साथ हो रहे अत्याचार को देख जब पड़ोसियों से इस बात का सब्र नहीं हुआ तो उन्होंने इस पूरे मामले की सूचना चाइल्ड लाइन समिति के सदस्यों को दी.
चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने जब शिकायत का पता लगाया तो वह सही पाई गई. फिलहाल मासूम को समिति के सदस्यों ने बालिका गृह भेज दिया है. आरोपी डीपीएस के शिक्षक शुशांत सारंगी और चंदना सारंगी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है.