रिजर्व बैंक की तरफ से कारोबार जगत के एनपीए को लेकर ऐसे आंकड़े जारी किए गए हैं, जो किसी को भी चौंकाने के लिए काफी हैं। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर केसी चक्रबर्ती ने बैंकों की होने वाली सालाना कॉन्फ्रेंस में बताया कि पिछले 13 सालों में बैंकों ने कॉरपोरेट को दिया करीब 1 लाख करोड़ रुपए का लोन माफ किया है।
यहां पर यह आंकड़ा और भी चौंकाना वाला इसलिए है, क्योंकि 2008 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम किसानों का जितना लोन माफ किया था, कॉरपोरेट का ये लोन उससे कहीं ज्यादा है। 2008 में सरकार की तरफ से किसानों का करीब 60 हजार करोड़ रुपए का लोन (एनपीए) माफ किया गया था। वहीं दूसरी ओर, पिछले 13 सालों में बैंकों की तरफ से कॉरपोरेट का 1 लाख करोड़ रुपए का लोन (एनपीए) माफ कर दिया गया है।
आपको बता दें कि यहां एनपीए से तात्पर्य उन लोन या कर्जों से है, जो कर्ज लेने वाला व्यक्ति चुका नहीं पाता है। इस तरह के कर्जों को एनपीए या बैड लोन कहा जाता है। चक्रबर्ती ने कहा कि बैंकों को टेक्निकल राइट ऑफ और लोन रीस्ट्रक्चरिंग जैसे प्रक्रियाओं को छोड़ना होगा, तभी एनपीए के झंझट से मुक्ति मिल सकती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंकों ने 2007 से 2013 के बीच में कुल एनपीए में 4,94,836 करोड़ रुपए का बैड लोन या एनपीए और जोड़ा। वहीं इस पूरे समय में बैंकों ने 3,50,332 करोड़ रुपए तक एनपीए कम किया। ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि इस पूरे समय में बैंकों ने 1,41,295 करोड़ रुपए का एनपीए टेक्निकल राइट ऑफ किया और करीब 90,887 करोड़ के लोन को रीस्ट्रक्चर किया। साथ ही 1,18,149 करोड़ रुपए का लोन डिफॉल्टर्स से रिकवर किया गया।
इस नुकसान की भरपाई बैंक के अकाउंट्स में बैंक के फायदे से की जाती है। वहीं दूसरी ओर, ऐसा करने से बैंकों को टैक्स में कुछ फायदा मिलता है।