भोपाल। आरटीओ की एक खामी ने शासन को 55 लाख से अधिक की चपत लगा दी। जब भी बस ऑपरेटर शैक्षणिक संस्थान में बस लगाने के लिए आवेदन देते हैं, तो आरटीओ की ओर से संबंधित संस्थान से इस बारे में पूछताछ नहीं की जाती और बाकी औपचारिकताएं पूरी कर उसे परमिट दे दिया जाता है। इसलिए यह पता नहीं चल पाता की अनुबंधित बस स्कूल में ही लगी है या और कहीं चल रही है। भोपाल एआरटीओ संजय तिवारी भी मानते हैं कि स्कूल बस के परमिट के लिए आवेदन करते समय स्कूल से वेरीफिकेशन नहीं किया जाता।
आरटीओ की इसी कमी की आड़ में चार बस ऑपरेटर शासन को 55 लाख रुपए की चपत लगा चुके हैं। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में बस लगाने के नाम पर परमिट लेकर उन्हें भेल में ठेके पर लगा दिया था। रविवार को बस ऑपरेटरों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद अभी तक न तो आरोपी बस ऑपरेटरों से पूछताछ गई है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ही गई। इधर, परिवहन विभाग प्रदेश भर के सभी शैक्षणिक संस्थानों को पत्र लिखकर उनके यहां बच्चों की संख्या की जानकारी लेने की तैयारी कर रहा है। भोपाल आरटीओ के अनुमान के मुताबिक डेढ़ हजार बसों को परमिट जारी किए गए हैं। हालांकि आरटीओ इस तरह के परमिट का अधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा पाया।
तीन माह के लिए जारी होता है परमिट
आरटीओ किसी भी बस के लिए 3 महीने के लिए परमिट जारी करता है। इसमें शैक्षणिक संस्थान के लिए टैक्स 1 रुपए सीट, सामान्य बस के लिए 160 रुपए, एक्सप्रेस और डीलक्स बस के लिए 180 रुपए और एसी बस के लिए 200 रुपए प्रतिमाह है। यह 100 किमी तक के लिए निश्चित होता है। इसके बाद किमी के हिसाब से अलग-अलग दरें बढ़ जाती हैं। लोग फर्जी तरीके से स्कूल बस का परमिट हासिल कर उसका व्यावसायिक इस्तेमाल करते हैं और टैक्स स्कूल बस का भरते हैं।
ऐसे मिलता है स्कूल परमिट
-स्कूल परमिट 3 महीने के लिए दिया जाता है। इसके लिए वाहन मालिक को ऑनलाइन फार्म भरना होता है। इसके बाद आरटीआई टैक्स, फिटनेस और वाहन को आरटीओ कार्यालय बुलाकर उसका वेरीफिकेशन करता है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद एआरटीओ के हस्ताक्षर हो जाते हैं। इसके बाद वाहन मालिक स्कूल या कॉलेज के नाम का पत्र परमिट के लिए आवेदन के साथ लगाकर परमिट शाखा जमा करता है। आवेदन के साथ टैक्स, फिटनेस और वेरीफिकेशन के कागजात अटैच रहते हैं। पूरी पक्रिया होने पर आरटीओ इस पर हस्ताक्षर कर देता है। (हालांकि यहां पर संबंधित शैक्षणिक संस्थान से क्रॉस चेक नहीं किया जाता कि आवेदन उनके यहां से जारी किया गया है या नहीं।) इस पूरी प्रक्रिया में अधिकतम 7 दिन लगते हैं।
स्थाई परमिट ऐसे होता है जारी
स्थाई परमिट यानी यात्री बसों के लिए दिया जाने वाला परमिट। यह पांच साल के लिए प्रदान किया जाता है। टैक्स, फिटनेस और वेरीफिकेशन की प्रक्रिया स्कूल बसों के लिए दिए जाने वाले परमिट के समान ही होती है, लेकिन स्थाई परमिट के लिए आवेदन मिलने के बाद आरटीओ दावे-आपत्तियां बुलाता है। तय समय में दावे-आपत्तियों की जांच के बाद ही परमिट जारी करने या न करने का निर्णय लिया जाता है। सामान्यतः इसमें एक महीने से भी अधिक समय लग जाता है।