भोपाल। नगर निगम के हाथ विकास कार्यों के लिए तंग हैं। लेकिन जिन कामों के लिए उसके पास पैसा है, उनमें भी अफसरों ने फाइलें बंद कर रखी है। मामला शिक्षा उपकर का है। पूरे नौ करोड़ रुपए निगम के पास है, पर आठ महीने में एक धेला भी निगम खर्च नहीं कर पाया है। स्कूलों में फर्नीचर, स्मार्ट क्लास रूम बनाने से लेकर शिक्षा के हर क्षेत्र में यह राशि खर्च करनी थी।
निगम स्कूलों में विकास कार्य के लिए शहरवासियों पर संपत्ति कर के साथ शिक्षा उपकर लगाता है। यह संपत्ति कर के लिए तय किए जाने वाले वार्षिक भाड़ा मूल्य का तीन प्रतिशत होता है। निगम ने पिछले साल 9 करोड़ का शिक्षा उपकर वसूला था। इसे इस साल खर्च किया जाना था। पहले पार्षद इस राशि काे अपनी निधि मानकर खर्च करते थे। लेकिन इस बार परिषद ने यह अधिकार महापौर आलोक शर्मा को दे दिया। वे आठ महीने में इसके लिए कोई योजना तैयार नहीं कर पाए। इसी वजह से पार्षदों ने विरोध किया है। उन्होंने वापस इसे अपनी निधि के साथ जोड़ने के लिए निगम परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान काे पत्र लिखा है।
बैठक हुए एक महीना बीता, नहीं हुए टेंडर
निगम ने 10 स्कूलों के लिए पिछले साल 65 लाख रुपए मंजूर किए थे। इसके लिए 7 नवंबर को स्कूल शिक्षा विभाग के साथ महापौर आलोक शर्मा की परिषद हाल में बैठक भी हुई। तय हुआ कि एक महीने में टेंडर हो जाएंगे, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ।