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दादर-अमृतसर एक्सप्रेस भोपाल से ग्वालियर की ओर आ रही थी। वेटिंग टिकट के यात्रियों की संख्या अधिक होने पर भोपाल के बाद ट्रेन के एस-3, एस-4, एस-5, एस-6, एस-7 कोच में अधिक भीड़ हो गई। झांसी के बाद तो एस-5 कोच में यह स्थिति बन गई कि कुछ वेटिंग टिकट वाले यात्रियों ने रिजर्व्ड टिकट वाले यात्रियों की सीट पर कब्जा कर लिया। जब रिजर्व्ड टिकट वाले यात्री सीट मांगने लगे तो इन्होंने पूरी सीट खाली नहीं की।
इस पर यहां विरोध होने लगा। रिजर्व्ड टिकट वाले यात्री टीटीई के पास पहुंचे। टीटीई ने वेटिंग टिकट के यात्रियों को उठाने की कोशिश की तो यात्रियों ने उठने से इनकार कर दिया। ट्रेन में आरपीएफ-जीआरपी स्टाफ नहीं था तो टीटीई ने हाथ खड़े कर दिए। इस पर रिजर्व्ड टिकट वाले यात्रियों ने टीटीई को घेर लिया। यात्रियों ने टीटीई के साथ अभद्रता की और फिर उसका चार्ट भी छीनकर सीट के नीचे बैठा लिया। टीटीई किसी तरह भागकर दूसरे कोच में पहुंचा। यहां से ग्वालियर सूचना दी।
जानकारी मिलने पर डिप्टी एसएस कार्यालय से जीआरपी-आरपीएफ को ट्रेन अटेंड करने की सूचना दी गई। ट्रेन रात करीब 11 बजे ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म-4 पर पहुंची। प्लेटफॉर्म-4 पर पहले से ही आरपीएफ-जीआरपी मौजूद थी। ट्रेन रुकते ही टीटीई ट्रेन से भागकर नीचे उतरा। आरपीएफ को पूरी कहानी बताई। इसी दौरान वहां रिजर्व्ड टिकट वाले यात्री भी आ गए।
वह स्टेशन पर भी हंगामा करने लगे। आरपीएफ ने इन्हें खदेड़ा। इसके बाद आरपीएफ कोच के अंदर पहुंची और वेटिंग टिकट वाले यात्रियों से सीट खाली करवाई। रिजर्व्ड टिकट वाले यात्रियों को सीट मिलने पर ही हंगामा शांत हुआ। इसके बाद ट्रेन आगे रवाना हो सकी।