जबलपुर। छात्रों के प्रैक्टिकल हुए अंक भी मिले लेकिन वक्त पर यूनिवर्सिटी नहीं पहुंचे। रिजल्ट जारी हुआ तो छात्र फेल हो गए। छात्र समझ ही नहीं पाए कि जब प्रैक्टिकल में शामिल हुए तो फेल कैसे हो गए। पड़ताल हुई तो पता चला कि छात्रों के अंक ही यूनिवर्सिटी नहीं गए। कॉलेज के प्राचार्य अलमारी के भीतर ही अंक रख कर भूल गए। इस बीच उनका तबादला भी हो गया। 26 छात्रों ने इस लापरवाही का खामियाजा भुगता। लंबी भागदौड़ के बाद आखिरकार छात्रों का रिजल्ट जारी हुआ। इधर शासन ने मामले की जांच के लिए सोमवार को टीम जांच के लिए भेजी। मामला कुंडम शासकीय कॉलेज का है।
यहां बीएससी सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा का परिणाम छात्रों को हैरान करने वाला था। कैमेस्ट्री में 26 छात्र अनुपस्थित हो गए। इनके प्रैक्टिकल के अंक नहीं थे। छात्रों ने यूनिवर्सिटी में पता किया तो बताया कि अंक ही नहीं आए। गुस्साए छात्रों कॉलेज प्राचार्य पर दबाव बनाया। पड़ताल हुई तो समझ आया कि कॉलेज प्रबंधन छात्रों के अंक भेजना भूल गया। फेल होने के कारण छात्र थर्ड सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते। 14 जनवरी तक फार्म भरने की अंतिम तिथि थी। कॉलेज ने यूनिवर्सिटी को अंक भेजे जिसके बाद रिजल्ट जारी हुआ। कॉलेज प्रबंधन ने यूनिवर्सिटी से छात्रों के फार्म भरवाने के लिए विशेष रिआयत मांगी। उन्हें 2 हजार रुपए विलम्ब शुल्क से राहत दी गई।
ऐसी हुई लापरवाही
प्रारंभिक जांच में कुंडम कॉलेज में तत्कालीन प्राचार्य संतोष जाटव थी, जिनका तबादला सिहोरा कॉलेज में हुआ। वे पदस्थापना वाले कॉलेज में कार्यभार ग्रहण करने गईं। इसी बीच प्रैक्टिकल परीक्षा के अंक की सीट प्राचार्य की अलमारी में रखी रह गई। नई प्राचार्य डॉ.शशिबाला श्रीवास्तव पर छात्रों ने काफी दबाव बनाया। शिकायत उच्च शिक्षा विभाग को दी और थाने में भी शिकायत हुई। घटना की जांच के लिए क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ.केएल जैन ने सोमवार को मानकुंवर बाई कॉलेज की प्राचार्य डॉ.उषा दुबे को जांच के लिए कुंडम भेजा।
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अप्रैल में प्रैक्टिकल हुए थे। जून में मेरी पदस्थापना हुई। मामला मेरे कार्यकाल का नहीं था। छात्र परेशान हो रहे थे। उनका रिजल्ट अब निकल चुका है। छात्रों के परीक्षा फार्म भी भर गए हैं।
:डॉ.शशिबाला श्रीवास्तव, प्राचार्य कुंडम शासकीय कॉलेज