नईदिल्ली। बीजेपी समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित प्रमुख 11 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 10 मार्च को हड़ताल का फैसला किया है. ये संगठन केंद्र और कुछ राज्य सरकारों की श्रमिक विरोधी नीतियों और श्रम सुधारों के जरिए कानूनों में बदलाव का विरोध जताने के लिए यह हड़ताल करने जा रहे हैं.
नीतियों के खिलाफ विरोध
विभिन्न 11 ट्रेड यूनियनों के साझा बयान में यह जानकारी दी गई है. इसके अनुसार, सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की बैठक 27 जनवरी 2016 को हुई और केंद्र व कुछ राज्य सरकारों की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध जारी रखने का फैसला किया गया.
ये है हड़ताल की वजह
बयान के अनुसार यूनियनों ने 10 मार्च 2016 को अखिल भारतीय विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है ताकि उसके 12 सूत्रीय मांगपत्र पर सरकार की बेरुखी और श्रमिकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत फिर शुरू करने की उसकी अनिच्छा का विरोध जताया जा सके.
सम्मेलन में अगले कदम पर होगा विचार
इसके साथ ही यूनियनों ने मार्च 2016 के दूसरे सप्ताह में नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में श्रमिकों का राष्ट्रीय सम्मेलन करने का फैसला किया है. सम्मेलन में संयुक्त कार्रवाई के अगले कदम पर विचार किया जाएगा. इसमें कहा गया है, ऐसा लगता है कि सरकार इस तरह के कर्मचारी विरोधी श्रम कानून संशोधनों के पारित होने का इंतजार नहीं करना चाहती, वह अध्यादेशों के जरिए श्रमिकों के अधिकार छीन रही है और राज्य सरकारों को भी इस तरह से प्रबंधकों के हित वाले संशोधन करने के निर्देश दे रही है.
स्टार्टअप में छूट के खिलाफ हैं ट्रेड यूनियन
ट्रेड यूनियनों ने केंद्रीय श्रम सचिव द्वारा 12 जनवरी 2016 को जारी इसी तरह के निर्देश की आलोचना की है. इस निर्देश में स्टार्टअप उपक्रमों को 9 प्रमुख श्रमिक कानूनों से छूट देने को कहा गया है. बयान के अनुसार, श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी.