
धरने पर बैठे शिक्षकों के अनुसार जालोर के चितलवाना कार्यालय में नियमों को ताक में रखकर तत्कालीन बीईईओ फुलाराम खोटे ने संविदा पर कम्प्यूटर ऑपरेटर मनोहर विश्नोई को रखा. यह ऑपरेटर दसवीं में दो बार फेल बताया जा रहा है लेकिन इसी ने कम्प्यूटर सिस्टम से छेड़छाड़ कर शिक्षकों के वेतन के बाद होने वाली जीपीएफ व अन्य कटौती का गबन किया. शिक्षकों के वेतन की एक राशि को यह ऑपरेटर अपने निजी खाते में जमा करने लगा और लाखों रुपए उठाता रहा.
तीन साल में करोड़ों रुपए का गबन:
कंप्यूटर ऑपरेटर के हाथों शिक्षकों के वेतन में यह सेंधमारी तीन साल तक चलती रही. इस दौरान कई शिक्षक सेवानिवृत भी हुए लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. शिक्षकों के अनुसार तीन साल में खंड के सैकड़ों शिक्षकों के वेतन से करोड़ों रुपए का गबन किया गया है.
एक साल से बिना वेतन काम कर रहा था ऑपरेटर:
अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी संघ जालोर जिला ध्यक्ष पूनमारा के अनुसार बीईईओ कार्यालय गबन का आरोपी कम्प्यूटर ऑपरेटर को पिछले एक साल से बिना वेतन के काम कर रहा था. बिना वेतन भी वह सैलरी वाले दिन देर रात तक कार्यालय में अकेला काम करता था फिर भी किसी अधिकारी की नजर उस पर नहीं पड़ी.
मामला दर्ज लेकिन कार्रवाई नहीं, धरने पर बैठे शिक्षक:
शिक्षक कार्रवाई की मांग को लेकर चार दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उधर, चितलवाना पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया है लेकिन ऑडिट रिपोर्ट के अभाव में कार्रवाई नहीं हो सकी है.
ऐसे हुआ था पर्दाफाश:
शिक्षक जोराराम को अपने वेतन से जीपीएफ कटौती पर संदेह हुआ तो 8 जनवरी को उन्होंने अपने खाते की नकल निकलवाई, इसमें 1 लाख 38 हजार 568 रुपए का घोटाला सामने आया. इससे बाद जब अन्य शिक्षकों ने भी अपने खाते संभाले तो दंग रह गए. हालांकि मामला उजागर होने के बाद भी शिक्षा विभाग ने दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है