डाकू निर्भय के इलाके में मिले 1100 साल पुराने मंदिर

Bhopal Samachar
ग्वालियर। पढ़ावली स्थित पहाड़ी पर है देवताओं की बस्ती। करीब 1100 साल से अधिक पुराने इन सैकड़ों मंदिरों में देवी-देवताओं के अलावा ऋषि मुनि के स्थान हैं जो भूकंप की भेंट चढ़ गायब हो गए थे। प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर सामने आई तस्वीर एक शख्स की जिद का नतीजा है।

तीन तरफ से हरी-भरी पहाडिय़ों से घिरे एक ही कैम्पस ये मंदिर ग्वालियर से करीब 50 किमी दूर हैं। प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर सामने आई यह सबसे ताजा तस्वीर आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया के तत्कालीन अधीक्षक के.के. मोहम्मद की जबर्दस्त जिद का नतीजा है। मोहम्मद 2004 में पहली बार यहां आए और फिर यही काम उनका मिशन बन गया। तब यहां तक पहुंच भी आसान नहीं थी। उस समय ये खंडहर कुख्यात डाकू निर्भयसिंह गुर्जर जैसे गिरोहों की पनाह गाह हुआ करता था। एक विजिट के दौरान मोहम्मद की मुलाकात भी गुर्जर से हुई। वह मजे से बीड़ी पी रहा था।

बीड़ी पीते डकैत निर्भय को लगाई डांट
मोहम्मद याद करते हैं कि मैंने उससे कहा कि तुम्हें शर्म आनी चाहिए। यहां बैठकर बीड़ी पी रहे हो। तब मेरे मध्यस्थ ने इशारे में मुझे टोक दिया था। बाद में पता चला कि वह निर्भय था। हमने उसे बताया कि 9 वीं से 11 वीं सदी के बीच गुर्जर-प्रतिहार राजाओं ने ही ये मंदिर बनवाए थे। अब तुम भी हमारी मदद करो।

8 साल तक किया 60 कुशल कारीगरों ने काम
दस साल पहले तक मलबे में बिखरे 80 मंदिर अब अपने मूल रूप में लौट आए हैं। यह देश की अकेली ऐसी साइट है, जिसे वापस खड़ा करने में लगातार 8 साल तक 60 कुशल कारीगरों ने काम किया।

डकैत निर्भय के राज में 'निर्भय' थी टीम
डाकू गिरोह के सक्रिय रहते एएसआई की टीम बेफिक्र रही। मगर निर्भय की मौत के बाद इलाके में अवैध खनन माफिया का राज हो गया। पत्थर की खदानों में दिन-रात धमाके होने लगे। काम करना मुश्किल था।

मंत्री से नहीं मिली मदद
तत्कालीन संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को तब मोहम्मद ने तीन बार लिखकर मदद मांगी। हर बार शर्मा का जवाब था-हमें आपका कोई पत्र नहीं मिला। संयोग से तब खनन मंत्री भी वही थे। यशोधराराजे सिंधिया ने जरूर कुछ दिलचस्पी ली और काम चलता रहा। वहीं बजट की कमी को दूसरे प्रोजेक्ट्स की राशि से दूर किया गया।

दस्यु पर्यटन का आइडिया 
आर्कियोलॉजी कल सर्वे ऑफ इंडिया के तत्कालीन अधीक्षक के.के. मोहम्मद ने कहा कि मैं चाहता था मॉन्युमेंट अटेंडेंट के पद पर समर्पित डाकुओं को रखा जाए। पर्यटक पुरातन विरासत को देखें और कुख्यात डकैतों से भी मिलें।

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