
छिंदवाडा के चंदनगांव में रहने वाला तेरह साल के वंशधीर को शिक्षा विभाग ने उसकी योग्यता को देखते हुए बारहवीं की परीक्षा देने की अनुमति भी दे दी. वंशधीर के परिवार की आर्थिक हालत इतनी बेहतर नहीं है कि वह ट्यूशन लगा सकें. यही वजह है कि वह खुद ही पढाई करता है.
वंश प्रदेश और देश में छोटे बच्चों के लिए मिसाल बन गया है. यही वजह है कि वंश से बारहवीं कक्षा के बड़े छात्र न केवल सलाह मांगते हैं, बल्कि उसके नोट्स को भी ले जाते हैं. उसके पिता परमजीत सिंह का कहना है कि तीरंदाजी में वंश बेहद तेज है, लेकिन इसके लिए जरूरी सामान न होने से वह काफी निराश हो जाता है. संयोग ऐसा है कि वो खेलने और पढ़ने दोनों में अव्वल है. वह अपने शिक्षकों का भी प्रिय छात्र बना हुआ है. लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते वो अपने तीरंदाजी के शौक को पूरा नहीं कर पा रहा है.