मनोज तिवारी/भोपाल। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और संसाधनों की कमी दूर करने के नाम पर शिक्षा विभाग 90 फीसदी स्कूल बंद कर व्यवस्था सुधारने की योजना पर काम कर रहा है। योजना के मुताबिक प्रदेश के एक लाख बीस हजार सरकारी स्कूलों में से एक लाख 8 हजार स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। इन बंद होने वाले स्कूलों के शिक्षकों और विकास मद की राशि से बाकी बचे 12 हजार स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। विभाग का मानना है दर्जनों स्कूल के बजाए एक स्कूल ऐसा हो जिसमें सभी सुविधाएं हों और शिक्षकों की कमी भी न हो।
इस व्यवस्था को लागू करने से हर तीन-तीन किलोमीटर के छोटे-बड़े स्कूलों की जगह 15 किलोमीटर के दायरे में (मतलब 15 किलोमीटर के बीच में, जिससे हर गांव से स्कूल की दूरी साढ़े सात किलोमीटर रहेगी) एक सर्वसुविधा युक्त हायर सेकंडरी स्कूल होगा। सात किलोमीटर बच्चों को पैदल न चलने पड़े, इसके लिए निशुल्क अनुबंधित बसें चलाईं जाएंगी। बसों का खर्च निकालने के लिए स्कूलों में साइकिल देने की योजना को बंद करने का प्रस्ताव है।
प्रयोग के तौर पर इस योजना को भोपाल संभाग के 5 जिलों में लागू किया जाएगा। योजना सफल हुई तो फिर पूरे प्रदेश में लागू करने पर मुख्यमंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। हालांकि यह योजना दिग्विजय सरकार की शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस) के ठीक विपरीत है। इसके तहत हर एक किलोमीटर पर प्रायमरी और हर तीन किलोमीटर पर मिडिल स्कूल खोला गया था। इस योजना का मकसद हर बच्चे की पहुंच में स्कूल लाना था।
दो साल तक फीडबैक के बाद पूरे प्रदेश में
शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक प्रायोगिक तौर पर भोपाल संभाग के पांच जिले भोपाल, रायसेन, विदिशा, सीहोर और राजगढ़ में योजना शुरू होगी। दो साल बाद योजना का फीडबैक लिया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी। वर्तमान में भोपाल संभाग में 11,896 सरकारी स्कूल हैं। जिनकी संख्या डेढ़ हजार बचेगी। एक रूट की बसों को अधिकतम छह गांव के बच्चों को लेना होगा।
अभी ये है नियम
वर्तमान में हर एक किमी पर प्राइमरी, तीन किमी पर मिडिल, पांच किमी पर हाईस्कूल और 8 किमी पर हायर सेकंडरी खोले जा रहे हैं।