विज्ञापनों पर करोड़ों बहाए, बेटियां फिर भी नहीं बचा पाए: 927/1000

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश के लिए एक बार फिर खतरे की घंटी है। पिछले 10 साल में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 हो गई है। हम बात कर रहे हैं 0-5 साल तक के बच्चों की। इसका खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की 2015-16 की रिपोर्ट में हुआ है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की है। इसके पहले 2005-06 की इसी रिपोर्ट में 0-5 साल के बीच प्रति हजार बच्चों पर 960 लाडलियां थीं। 

स्वास्थ्य विभाग की हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (एचएमआईएस) रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 का जन्म के समय का लिंगानुपात 926 है। वहीं एनुअल हेल्थ सर्वे के 2013 के अनुसार यह आंकड़ा 905 है।

शिशु मृत्युदर में 4 अंकों की गिरावट
एनएफएचएस 2015-16 के अनुसार पिछले 10 सालों में प्रति हजार 18 शिशुओं की मौत (इंफैंट मॉरटलिटी रेट यानी आईएमआर) कम हो गई है। 0-1 साल के बीच हर साल पहले 69 बच्चों की मौत हो जाती थी, वहीं अब यह आंकड़ा 51 हो गया है। यह किसी भी सर्वे में अब तक सबसे कम आईएमआर है। जनगणना निदेशालत के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) 2013 के अनुसार प्रदेश की आईएमआर 54 प्रति हजार थी। इसके अलावा 0-5 साल तक के बच्चों में भी मृत्यु दर प्रति हजार 93 से कम होकर 65 हो गई है। एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार संस्थागत प्रसव पिछले सर्वे में 28 से बढ़कर अब 80 हो गया है। हालांकि, एचएमआईएस रिपोर्ट में यह 89 फीसदी है।

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