भिलाई। 'यदि मैं मर गई तो आगे मुझे कोई प्रॉस्टीट्यूट नहीं बुलाएगा'। यह एक रेप पीड़ित की हमारी कानून व्यवस्था से हार जाने की अंतिम गवाही है। इसके बाद की गवाहियों के लिए ये रेप पीड़ित इस दुनिया में नहीं है। रेप पीड़ित की तिल-तिल कर चलती ज़िंदगी की कहानी सुन दिल बैठ जाता है। लेकिन अफसोस तब होता है जब एक पीड़ित अपने लिए इंसाफ के मंदिर की चौखट पर सिर पटकते-पटकते इस दुनिया को हार जाती है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लड़की जून 2014 में इलाज के लिए भिलाई स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल गई थी जहां पर उसके साथ पहले कथित रूप से डॉक्टर और वहां तैनात दो कांस्टेबलों ने बलात्कार किया। आरोपियों लड़की को धमकी दी थी कि यदि उसने यह बात किसी को बताई तो वे उसका वीडियो लीक कर देंगे। आगे भी आरोपी धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म करते रहे। आरोपियों ने ब्लैकमेल कर उससे दो बार पैसे भी लिए थे।
जनवरी 2015 में लड़की ने इस घटना के बारे में परिवार वालों को बताया। इसके बाद तीनों आरोपी गिरफ्तार किए गए। बलात्कारियों के बाद सिस्टम ने उसे इतना तड़पाया कि उसके लिए जिंदगी के मायने ही खत्म हो गए। वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का मानना है कि खुदकुशी के पीछे पीड़ित लड़की के मन में कुछ ना कुछ भावनात्मक रहा होगा। रमन सिंह के मुताबिक कोर्ट अपने तरीके से चलती है।
लड़की ने आखिरी खत में लिखा, ‘मम्मी पापा मुझे माफ कर देना, ना तो मुझे इंसाफ मिलेगा और ना ही मैं जिंदगी में कभी आगे बढ़ पाऊंगी। मेरी खुद की वकील मुझसे बोली जज रुपयों में बिक गई है और तुझे कोर्ट से भगा दिया जाएगा। और मुझसे मेरी वकील ने 27-01-2016 को कोरे स्टाम्प पेपर पर साइन करा लिया है। इसलिए मैं अब जिंदगी ख़त्म करने जा रही हूं। ये सही भी तो है। जब भी मैं बयान तारीख पर देने जाती हूं जज गायब रहती हैं और मेरी वकील मुझे साइन भी नहीं करने देती हैं। इसलिए मैं ख़त्म हो जाऊंगी तो मेरी टेंशन भी ख़त्म हो जाएगी और मुझे फिर कोई भी नहीं कहेगा। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना। मेरी प्यारी मां मुझे माफ़ कर देना, अब मैं और नहीं जी सकती। मेरी इज्जत बर्बाद हो गई है, मैं सौरभ भक्ता, गौतम पंडित और चंद्र प्रकाश पाण्डेय की वजह से फांसी लगा रही हूं।'
आखिर वकील ने किन कागजों पर दस्तखत ले लिए, सरकारी वकील क्यों उसे ये कह रही थी की जज ने पैसे खा लिए हैं, ये बहुत ही गंभीर सवाल हैं। बरहाल परिवार के मुताबिक वकील का स्टैंप पेपर पर साइन करवाना उसकी उम्मीदों के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुआ और उसने आत्महत्या कर ली। वो मासूम तो अब नहीं रही लेकिन उसके परिवार को आस है कि अब कम से कम अब तो केस में तेजी लाई जाए और उनकी बेटी के गुनहगारों को जल्द से जल्द सजा मिले।