टीकमगढ पुलिस की वो कौन सी परिस्थितियां थी जिसके चलते पिता पुत्र ने गोली मारकर खुदखुशी की

Bhopal Samachar
टीकमगढ। टीकमगढ पुलिस की खाकी बर्दी पर दाग लगता नजर आ रहा है। क्योकि पहले पिता फिर पुत्र अपनी सर्विस रिवालवर से गोली मारकर खुदखुशी कर ले। पुलिस की जाॅच मे बताया जाये कि दोनो डिप्रैशन मे रहते थे। आखिर वो कौन सी बजह थी, जिसके चलते पिता पुत्र को गोली मारकर आत्म हत्या करनी पडी। पिता की मौत से टीकमगढ शहर की पुलिस ने क्यो सबक नही लिया अगर लिया होता तो आज पुत्र को आत्म हत्या नही करनी पडती। वो कौन जिम्मेदार पुलिस अधिकारी है। जिनकी तानाशाही के चलते पिता, पुत्र को भी गोली मारकर आत्म हत्या करनी पडी अब चूकि कई सबालो का जन्म हो रहा है। जिसका जबाबा शायद पुलिस के पास नही है।

जिले के नगर पंचयात लिधौरा निबासी राजेन्द्र भटट ने बीते 27 जनवरी को दोपहर मे कलेक्ट्रेट परिसर मे कोषालय आॅफिस मे डयुटी के दौरान अपनी सर्विस पिस्टल से गोली मारकर खुदखुशी कर ली थी। इसी तरह इनके पिता महेश भटट ने गत बर्ष 7 जुलाई 2012 को जतारा नगर मे डयुटी के दौरान अपनी  सरकारी राइफल से गोली मारकर आत्म हत्या कर ली थी। पुलिस ने जाॅच पडताल की जाॅच मे पाया गया कि महेश भटट डिप्रैशन की हालत मे रहता था। और पुलिस ने महेश भटट की जाॅच की फाइल बंद कर दी। पुलिस ने एक फाइल बंद की  और पुलिस को दूसरी फाइल बनाने का मौका मिल गया। अब लगता कि ये फाइल भी बंद हो जायेगी। क्योकि उस समय परिजनो ने पुलिस पर आरोप लगाते हुये उच्च अधिकारियो को बताया था कि उम्र ढलने की बजह से चैबीस घण्टा डयुटी करने मे असमर्थ है। और पिता महेश भटट ने पुलिस लाइन मे भेजने की गुहार अधिकारियो से लगाई। थी और अधिकारियो ने महेश की मांग को ठुकरा दिया था, जिस बजह से महेश भटट ने आत्म हत्या की थी।  आत्म हत्या की जाॅच कराये जाने की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने जाॅच करने की बजह फाइल ही बंद कर दी। और पुलिस की तानाशाही से पिता की तरह पुत्र को आत्म हत्या करनी पडी क्योकि राजेन्द्र भी अपने अधिकारियो से छुटटी की गुहार लगा रहा था। लेकिन अधिकारी उसकी मांग को हमेशा नजर अंदाज करके उसको मानसिक रुप से परेशान कर रहे थे। अब चूकि सबाल यह उठाया जा रहा है। कि वो कौन सी परिस्थति थी। जिसके चलते पिता पुत्र को आत्म हत्या करने पडी और वो कौन जिम्मेदार अधिकारी था। जिसने ऐसी कठिन परिस्थति को जन्म दिया जो पिता और पुत्र को आत्म हत्या करने पर मजबूर कर गई। अगर इसकी बारीकी से जाॅच पडताल की जाती तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा और दोषी पुलिस अधिकारी स्वतः उजागर हो जायेगे। फिलहाल अभी तो टीकमगढ शहर की पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता नजर आ रहा है।

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