नईदिल्ली। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भारत सरकार किसी भी कीमत पर पकड़ना चाहती है, लेकिन किस कीमत पर यह सरकार को ही नहीं पता। गृहमंत्रालय (एमएचए) नहीं जानता है कि दाऊद पर सरकार ने कितना इनाम रखा हुआ है. इतना ही नहीं एमएचए को यह भी नहीं पता कि देश का आम आदमी आतंकियों को पकड़वाने में किस तरह सरकार की मदद कर सकता है और इस बात का खुलासा हुआ है एक आरटीआई से.
गृह मंत्रालय को यह भी नहीं मालूम है कि बीते 15 साल में मोस्ट वांटेड 10 आतंकियों की सूचना देने के लिए कितने का इनाम दिया गया है. शॉर्ट फिल्में बनाने वाले एक प्रोड्यूसर उल्हास पी. रेवंकर ने गृह मंत्रालय में एक आरटीआई दायर इस विषय में जानकारी मांगी थी.
लेकिन मंत्रालय ने जो जवाब आया वह हैरान कर देने वाला है. जवाब में लिखकर भेजा गया है कि ऐसी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है. जब इस जवाब से रेवंकर संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने चीफ पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर को अपील कर दी, लेकिन उन्हें यहां से भी वही जवाब मिला जो गृह मंत्रालय ने दिया था. यानी किसी को कुछ नहीं पता.
डेली मेल में छपी एक खबर के मुताबिक आरटीआई में इसके अलावा और भी कई सवाल पूछे गए थे. ये सवाल कुछ इस तरह थे :
प्रश्न : भगोड़े आतंकियों की सूचना देने के लिए भारत के किसी भी मंत्रालय ने अब तक अधिकतम कितने का इनाम रखा है?
प्रश्न : मोस्ट वांटेड 10 आतंकियों की लिस्ट दीजिए, जिन पर 1990 से 2015 के बीच किसी भी मंत्रालय ने कोई इनाम रखा हो?
प्रश्न : क्या इनाम की रकम टैक्स फ्री होती है? यदि नहीं तो फिर इनाम की उस रकम में से टैक्स कितना काटा जाता है?
प्रश्न : आतंकियों की सूचना देने वाले आम आदमी को किस तरह से सुरक्षा दी जाती है?
प्रश्न : भाग छूटे लुका छिपी खेल रहे आतंकियों को पकड़ाने के लिए मैक्सिमम इनाम कितना है?
प्रश्न : अगर कोई आम नागरिक आतंकी की सूचना देना चाहता है. सरकार की मदद करना चाहता है. तो उसका सही तरीका क्या है?
इन सवालों का यह मिला जवाब :
बता दें कि यह आरटीआई 6 सितंबर 2015 को दायर की गई थी और इसका जवाब 15 सितंबर को मिला. गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एमए गणपति ने कहा कि उन्होंने 30 नवंबर 2015 को ऑनलाइन दायर की गई रेवंकर की अपील देखी है और उनका मूल आरटीआई आवेदन भी देखा है. संयुक्त सचिव का कहना है कि ऑफिसर ने कहा था कि जिस ऑफिस के वह सीपीआईओ हैं और उसमें यह सूचना उपलब्ध नहीं है.