मंडला। नगर पालिका की पूर्व सीएमओ सविता विवेक प्रधान पर प्रदेश सरकार मेहरबान दिखाई दे रही है. हाईकोर्ट और ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के मामले चलने के बाद भी सीएमओ सविता प्रधान का प्रमोशन कर दिया गया है.
सविता प्रधान वर्तमान में नीमच जिला के मुख्य नगरपालिका अधिकारी हैं. जिन्हें 22 जनवरी को क्लास 2 से क्लास-1 में प्रमोट कर दिया गया है. मंडला नगर पालिका में सीएमओ रहने के दौरान सविता प्रधान पर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किए जाने का मामला जबलपुर ईओडब्ल्यू ने दर्ज़ कर चुका है. जिसकी जांच रिपोर्ट ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत भी कर दी है.
जानिए, पूरा मामला
सविता प्रधान 20 जुलाई 2007 से 3 नवंबर 2010 के बीच मंडला में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के रूप में पदस्थ थीं. एक स्थानीय व्यापारी अनिल जैन ने सूचना के अधिकार के तहत सविता के भ्रष्टाचार को उजागर किया था. शिकायतकर्ता अनिल जैन का आरोप है कि सविता प्रधान ने कई सामान बाज़ार मूल्य से अधिक राशि में क्रय कर शासन को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया है.जैन ने इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई.
ईओडब्ल्यू ने जांच में करोड़ों रुपए का गबन पाया. शिकायतकर्ता ने ईओडब्ल्यू की जांच में सुस्ती को देखते हुए मामले की शिकायत हाईकोर्ट में की. हाईकोर्ट ने जांच करने वाली संस्था को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए. यही मामला जिला न्यायालय में भी लगाया ताकि ईओडब्ल्यू की कार्रवाई की समय-समय में जानकारी प्राप्त हो सके. पिछली पेशी में ईओडब्ल्यू ने जिला न्यायालय को बताया कि उनकी जांच पूरी हो चुकी है और चालान भी तैयार है.
चालान पेश करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति मांगी गई है. इसी बीच शिकायतकर्ता को जब यह जानकारी लगी कि प्रदेश शासन सविता प्रधान का प्रमोशन करने वाला है, तो उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले से सम्बंधित पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष सहित सब सम्बंधित विभागों प्रमुखों दी.
इसके बावजूद 22 जनवरी 2016 को सविता प्रधान को ए क्लास अधिकारी के रूप में प्रमोट कर दिया गया. शिकायतकर्ता अनिल जैन का कहना है कि आरोप प्रमाणित होने के बाद मध्यप्रदेश शासन भ्रष्ट अधिकारी को प्रमोट कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों को हतोत्साहित करने का काम कर रही है.
बिछिया के पूर्व विधायक नारायण पट्टा ने पिछलीविधान सभा में सविता प्रधान के मुद्दे को उठाया था. सविता प्रधान के प्रमोशन के जरिये उन्होंने सीधे मुख्य मंत्री पर हमला किया है. उनका कहना है कि भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री ने ईओडब्ल्यू और कोर्ट में मामला होने के बावजूद भ्रष्ट अधिकारी की पदोन्नति कर दिखा दिया है कि उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है.