
पेट्रोल पर ९६ पैसे प्रति लीटर और डीजल पर ५३ पैसे, यानी अब दिल्ली में पेट्रोल ५९.९९ पैसे मिलेगा| यानी दो साल में १०० डॉलर से भी ज्यादा प्रति बैरल मिलने वाला कच्चा तेल २५ डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया तो पेट्रोल के दाम एक चौथाई क्यों नहीं हुए, ये सवाल है. तो सबसे पहली वजह तो है डॉलर का भाव| डॉलर ही ६७ रुपये से ऊपर चल रहा है| दूसरी बड़ी वजह है एक्साइज ड्यूटी. मोदी सरकार ने एक साल में थोड़ी-थोड़ी कर के पेट्रोल पर एक्साइज एक लीटर पर ९ रुपये से बढ़ाकर एक लीटर पर २० रुपये से भी ज्यादा कर दी है| डीजल पर इसी तरह एक्साइज ३.५० से बढाकर लगभग १६ रुपये कर दी है| तीसरी वजह है वैट| राज्य सरकारें अपनी मर्जी चला रही है , कई राज्य इसे अपनी अपनी तरह से लगा रहे हैं | जैसे केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल पर वैट को बढाकर पहले २० से २५ फीसदी किया और अब २७ फीसदी कर दिया है| डीजल पर वैट पहले १२.५ फीसदी से बढ़ाकर १६.६ फीसदी किया और अब १८ फीसदी कर दिया है| पेट्रोल के एक लीटर पर दिल्ली में आप ५९.९९ में से २०.४८ केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी देते हैं और १२.७७ दिल्ली सरकार को वैट देते हैं| ऐसी ही मनमानी अन्य राज्यों में चल रही है |
जबकि अगर मनमोहन सरकार का एक्साइज वाला भाव होता और शीला सरकार वाला वैट का रेट लगता तो दिल्ली में पेट्रोल मिलता ४६.१४ का होता मतलब अभी के रेट से १४ रुपये लीटर सस्ता| राज्यों की मनमानी पर केंद्र को विचार करना चाहिए |