भोपाल। प्रदेश भर के राजस्व कोर्ट यानी कलेक्टर से लेकर अपर कलेक्टर और एसडीएम से लेकर तहसीलदार कोर्ट 1 अप्रैल से ऑनलाइन हो जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व विभाग की समीक्षा के दौरान ऑनलाइन कोर्ट की प्रक्रिया को अपनी स्वीकृति दे दी है। एक अप्रैल से सभी जिलों में रेवेन्यू केस मॉनीटरिंग सिस्टम साफ्टवेयर काम करने लगेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि आवेदक घर बैठे अपने केस की जानकारी कम्प्यूटर या मोबाइल पर देख सकेंगे। सीएम ने सभी जिलों में दस्तावेजों को डिजिटल करने वाले काम को तेज करने के निर्देश भी दिए हैं।
जल्दी करना होगा प्रकरणों का निपटारा
कलेक्टर कोर्ट के साथ जिले के सभी एसडीएम व तहसीलदार कोर्ट के कम्प्यूटर इस साफ्टवेयर से जुड़ेंगे।
रोजाना आने वाले आवेदनों की एंट्री उसी दिन ऑनलाइन की जाएगी।
नामांतरण, डायवर्सन, सीमांकन आदि से जुड़े सभी मामलों का ऑनलाइन ही निपटारा करना होगा।
जैसे ही प्रकरण एक अधिकारी के पास जाएगा, उस अधिकारी की समय सीमा दिखने लगेगी। यदि प्रकरण में देरी हुई तो कलेक्टर ऑनलाइन ही देख सकेंगे कि फाइल कहां अटकी है।
पक्षकार और वकील को मिलेगा मैसेज
इस सिस्टम में प्रकरण दर्ज होने के बाद वकील या पक्षकार अपने प्रकरण की पेशी के लिए भटकेंगे नहीं। पक्षकार को बकायदा एसएमएस भी भेजा जाएगा। जिससे उसे पता रहेगा कि कब एसडीएम या तहसीलदार के पास जाना है।
यदि पक्षकार चाहे तो अपने आदेश की कॉपी घर बैठे ही इंटरनेट से निकाल सकेगा।
दलालों के चंगुल से मिलेगी मुक्ति
अभी कलेक्ट्रेट, तहसीली कार्यालयों में लोगों के काम कराने के लिए दलाल सक्रिय रहते हैं। अफसर से लेकर लिपिक तक काम समय पर नहीं करते। फाइल गुम हो जाना जैसे बहाने आम है। लेकिन सबसे बड़ा झटका दलालों और ऐसे अधिकारियों को लगने वाला है जो जनता को भटकाते हैं। उनके काम की ऑनलाइन समीक्षा की जा सकेगी। कोई अफसर ये नहीं कह पाएगा कि फाइल नहीं मिल रही या देख लेंगे।