पतंजलि की विवादित दवाई 'पुत्रजीवक बीज' के कारण योग गुरु रामदेव एक बार फिर मुसीबत में फंस सकते हैं, क्योंकि उत्तराखंड सरकार द्वारा करवाई गई जांच की रिपोर्ट योग गुरु के खिलाफ है. यह जांच केंद्र सरकार के कहने पर करवाई गई थी.
जानकारी के मुताबिक, जांच रिपोर्ट राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत को भेज दी गई है और उनकी मंजूरी के बाद उसे केंद्र को भेजा जाएगा. उत्तराखंड के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ओम प्रकाश ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन जांच रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'बाबा रामदेव की दवाई पुत्रजीवक बीज की जांच रिपोर्ट उनके खिलाफ है और इसकी फाइल हमने मुख्यमंत्री को भेज दी है.'
गौरतलब है कि यह दवा कथित रूप से पुत्र जन्म का दावा करती है. पिछले साल पुत्रजीवक बीज नाम की यह दवा तब चर्चा में आई थी, जब संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में जेडीयू सांसद केसी त्यागी ने इस मामले को उठाते हुए बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की.
समिति ने दी थी रामदेव को क्लीन चिट
विवादित दवाई का मामला तूल पकड़ने के बाद केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार को इसकी जांच के निर्देश दिए. राज्य सरकार ने ‘पुत्रजीवक’ की जांच के लिए आयुष के दवा नियंत्रक पीडी चमोली की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में बाबा रामदेव को क्लीन चिट देते हुए कहा कि दवाई का नाम आयुर्वेदिक पुस्तकों और प्राचीन साहित्य के हिसाब से ही रखा गया है.
बता दें कि दवाई के विवादों में फंसने के बाद बाबा रामदेव ने भी उसका यही कहकर बचाव किया था कि पुत्रजीवक का संबंध संतान प्राप्ति से है और इसका पुत्र या पुत्री के जन्म से कोई लेना देना नहीं है. हालांकि, चमोली समिति की रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने महानिदेशक स्वास्थ्य को इस दवाई की फिर से जांच करने को कहा और इस संबंध में न्याय विभाग से भी अपनी राय देने को कहा.
प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ओमप्रकाश ने बताया कि महानिदेशक, स्वास्थ्य और न्याय विभाग ने अपनी रिपोर्ट ‘पुत्रजीवक बीज’ के खिलाफ दी है.