नई दिल्ली। राजधानी में सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूल दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने मंगलवार को निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर सख्त रुख अपनाते हुए यह फैसला दिया है।
आवंटन भी रद्द हो सकता है:
हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय, डीडीए व अन्य संबंधित निकायों को इस आदेश का पालन नहीं करने वाले स्कूलों का भूमि आवंटन रद्द करने तक की कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
एनजीओ की याचिका पर आदेश:
चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने यह फैसला गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल’ के अधिवक्ता खगेश झा की याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने 16 पन्नों के अपने फैसले में दिल्ली स्कूल एजूकेशन एक्ट-1973 की धारा 17(3) का हवाला भी दिया। कोर्ट ने कहा है कि निदेशालय को निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने का पूरा अधिकार है।
कोर्ट ने कहा है कि सरकारी जमीन पर बने स्कूल आवंटन शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। साथ ही शिक्षा निदेशालय को सुप्रीम कोर्ट के 2004 और 2007 के फैसले को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भूमि आवंटन शर्तों का हवाला देकर कहा था कि कोई भी स्कूल सरकार की मंजूरी के बिना फीस नहीं बढ़ा सकते।
अधिवक्ता झा ने 2013 में याचिका में कहा था कि आदेश के बावजूद निजी स्कूल मास्टर प्लान 2021 और आवंटन शर्तों की अनदेखी कर फीस बढ़ोतरी से मुनाफा कमा रहे हैं।