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दोगुना हो जाएगा मप्र में विधायकों का वेतन

भोपाल। सरकार विधायकों का वेतन 70 हजार से बढ़ाकर लगभग 1.25 लाख रु. करने करने पर सहमत हो गई है। इससे प्रदेश के 230 विधायकों और 1100 पूर्व विधायकों को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही विधायक निधि, मकान, वाहन का लोन भी बढ़ेगा।

विधानसभा अध्यक्ष और विधायकों को प्रोटोकाल में वरीयता दिया जाना भी प्रस्तावित है। विधायकों को वेतन पर कर्मचारियों की तरह डीए भी दिए जाने पर की सिफारिश की गई है। इससे जब भी केंद्र सरकार डीए बढ़ाएगी तब विधायकों का वेतन बढ़ जाएगा। विधानसभा में बुधवार को विधायकों का वेतन बढ़ाए जाने को लेकर सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें वित्त मंत्री जयंत मलैया, संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा, उपनेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन और विधानसभा सदस्यों के वेतन भत्ता बढ़ाए जाने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह उपस्थित थे। अब इस प्रस्ताव को विधानसभा के बजट सत्र में लाया जाएगा, जिसे पारित होने के बाद नए वित्तीय वर्ष से उसे लागू किया जाएगा।

पंद्रह साल में पांच गुना वेतन 
विधायकों को अभी 71 हजार रुपए मिलते हैं। प्रदेश में 2001 में विधायकों का वेतन 25 हजार रुपए था, जो 2007 में बढ़कर 35 हजार रुपए हो गया। इसके बाद भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में विधायकों को 71 हजार रुपए वेतन कर दिया जो अभी देय है। विधायकों के साथ 1100 पूर्व विधायकों की पेंशन भी बढ़ाई जा रही है। इसमें 10 हजार रुपए की बढ़ोतरी होगी।

विधायक निधि भी 1.5 करोड़ रु.
विधायकों को अभी क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 77 लाख रुपए विधायक निधि और तीन लाख रुपए स्वेच्छानुदान के मिलते हैं। यह राशि बढ़ाकर अब 1.50 करोड़ रुपए की जा रही है। इससे पहले विधायक निधि 2012 में बढ़ाई गई थी।

सिर्फ 4 फीसदी ब्याज पर मिलेगा लोन
विधायकों को फिलहाल मकान और वाहन के लिए 10 लाख रुपए लोन मिलता है। नए प्रस्ताव के अनुसार मकान का लोन दोगुना यानी 20 लाख रुपए और वाहन के लिए 15 लाख रुपए की राशि स्वीकृत होगी। लोन की इस राशि पर 4 प्रतिशत ब्याज देना होगा, बाकी राशि विधानसभा जमा करेगी।

विधायक को महापौर व जिला पंचायत अध्यक्ष से वरीयता 
अभी प्रोटोकाल में विधानसभा अध्यक्ष को लोकायुक्त के नीचे कर दिया गया है। इसी तरह विधायकों को नगरीय क्षेत्र में महापौर और जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के मुकाबले कम महत्व मिलता है। समिति ने यह तय किया है कि चूंकि लोकायुक्त की नियुक्ति में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका होती है और उनका पद संवैधानिक है। इसलिए राज्य सरकार स्पीकर को प्रोटोकाल में वरीयता दे। इसी तरह विधायक को नगरीय क्षेत्र में महापौर और जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष से वरीयता दी जाए।

सरकार सहमत है
विधायकों का वेतन बढ़ाए जाने पर सरकार सहमत है। वेतन कितना बढ़ाया जाएगा इसका सरकार परीक्षण कर रही है। इस प्रस्ताव को आगामी बजट सत्र में लाया जाएगा ताकि इसे जल्दी ही लागू किया किया जाए। 
राजेंद्र कुमार सिंह, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्य वेतन भत्ता समिति

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